दिल्ली एक ऐसा शहर जहाँ आप जो सोचते हैं उससे कहीं ज्यादा पाते हैं। जहाँ लोग एक दूसरे को प्यार करते हैं पर मौका मिलने पर पूरा फायदा भी उठा लेते हैं। मैं दिल्ली में छः साल से हूँ इन सालों में मैंने दिल्ली के कई रंग देखे हैं अच्छे भी और बुरे भी ! दिल्ली की लड़कियाँ आधे से ज्यादा मोटी होती हैं पर जो फिट हैं उनका कोई मुकाबला भी नहीं . इसीलिए दोस्तो, दिल्ली की लड़की पट गई तो जान लो उसकी शादी होने तक दिल्ली में आपकी मस्त कटेगी बिना कोई काम किये हुए। ऐसा ही कुछ मेरे साथ हुआ, बात नवम्बर, 2011 की है मैंने अपना कमरा बदला था जनकपुरी डी ब्लाक से जनकपुरी सी-2 में, मैंने पहली मंजिल पर एक कमरे का सेट किराये पर लिया था। मकान मालिक दूसरे मंजिल पर रहते हैं।
ऊपर मैं कभी कभार जाता था धूप सेकने ! एक दिन की बात कि मैं बैठ कर पढ़ रहा था, अचानक एक लड़की छत पर आई और मेरे पास कुछ दूर पर बैठ गई। वो भी छात्रा ही लग रही थी, उम्र करीब 21 की थी। देखते ही मेरा दिमाग ख़राब हो गया, कसम से इतनी सुन्दर थी कि मैं कैसे बताऊँ आपको? बस आप कल्पना कर सकते हैं सिर्फ ! मैं मन में सोच रहा था इसे तो कभी पहले देखा नहीं फिर यह कौन है? मेरे से रहा नहीं गया, मैंने उससे पूछ ही लिया- आप इसी बिल्डिंग में रहती हैं? वो बोली- हाँ ! फिर मैं चुप हो गया और पढ़ाई करने लगा पर लड़की सामने बैठी हो तो दिमाग पढाई के बारे में नहीं चुदाई के बारे में सोचता है ! मैं सोचने लगा कि यह लड़की किस मंजिल पर रहती है। थोड़ी देर में उसकी मम्मी भी आ गई, फिर पता चला कि जिस छत पर मैं बैठा हूँ वो छत उन्हीं की है ! उस दिन मेरी उससे कोई बात नहीं हुई पर आंटी ने मेरा पूरा इंटरव्यू ले लिए जैसे- बेटा, आप क्या करते हो? कहाँ के रहने वाले हो? घर में कौन कौन है? और न जाने क्या क्या ! मैंने आंटी को बड़े प्यार से सभी उत्तर दिए ! अब मेरी जान-पहचान बढ़ रही थी, मैंने आंटी से पूछा- आपके पति क्या करते हैं? वो बोली- वो बिज़नस करते हैं हमारी एक स्टील की कंपनी है हैदराबाद में ! मैंने पूछा- अंकल दिखते नहीं हैं, कहाँ हैं? वो बोली- बिज़नस के सिलसिले में ज्यादातर विदेशों में ही रहते हैं ! मैंने सोचा काफी मालदार मकान मालिक हैं। मैं मन ही मन खुश हो रहा था कि काश इसकी लड़की पट जाये तो अपने तो निकल पड़ेगी ! मैं आंटी की नजर में अपने आप को काफी अच्छा होने का दिखावा कर रहा था जबकि मैं इतना अच्छा हूँ नहीं ! पर दिल कुछ आस हो हो तो दिल क्यों निराश हो वाली कहानी थी मेरी ! करीब तीन दिनों के बाद मैं फिर छत पर गया उस दिन मैच चल रहा था। मेरे पास टीवी नहीं था तो मैंने आंटी से स्कोर पूछा। आंटी ने मुझे कहा- आ जाओ बेटा, अंदर ही मैच देख लो। मैंने मना किया- नहीं आंटी बस स्कोर ही पूछना है। पर आंटी नहीं मानी, बोली- बेटा इसे अपना ही घर समझो ! फिर मैं उनको आगे वाले कमरे में मैच देखने लगा, और कोई नहीं था कमरे में ! आंटी अपने कमरे में चली गई थी। इतने में सचिन आउट हो गया- मैंने जोर से बोला- ओह शिट ! सचिन आउट हो गया। इतने में मेरी आवाज सुनकर उनकी लड़की कमरे में आ गई और बोली- सचिन आउट हो गया? मैंने कहा- हाँ ! वो बोली- अब इंडिया मैच नहीं जीतेगा। मैंने कहा- ऐसे कैसे नहीं जीतेगा, जरूर जीतेगा। वो बोली- तुम इतने विश्वास से कैसे कह सकते हो? मैंने कहा- तो फिर तुम इतने विश्वास से कैसे कह रही हो? वो बोली- जब भी सचिन आउट हो जाता है इंडिया हार जाता है ! मैंने कहा- ओ के ! देखते हैं आज कौन जीतता है ! फिर वो भी सोफे पर बैठ गई। अब हम दोनों में बातें शुरू हो चुकी थी। मैंने पूछा- तुम क्या करती हो? वो बोली- इंजीनियरिंग कर रही हूँ ! उसने मुझ से पूछा- तुम क्या करते हो? मैंने कहा- मैंने इंजीनियरिंग कर ली है अब आगे की तैयारी कर रहा हूँ। उसने टी-शर्ट पहनी हुई थी चूचियाँ 34 की थी, मेरी नज़र हटने का नाम ही नहीं ले रही थी, पर क्या करता मैं कुछ नहीं कर सकता था। बातें आगे बढ़ी, उसने पूछा- आप कहाँ के रहने वाले हो? मैंने बताया- मेरा घर बरेली में है ! थोड़ी देर बाद मैं चला आया अपने कमरे में ! दूसरे दिन सुबह मैं करोल बाग़ जा रहा था और मैंने अपनी बाइक निकाली ही थी कि वो भी कहीं जाने के लिए नीचे उतरी ! मैंने उसे हाय बोला और पूछा- कहाँ जा रही हो? वो बोली- कॉलेज ! मैंने पूछा- कहाँ है कॉलेज? बोली- पटेल नगर ! मैंने कहा- मैं भी उसी तरफ़ जा रहा हूँ, अगर चाहो तो मेरे साथ चल सकती हो ! उसने कहा- मैं सोच रही थी आज मैं कॉलेज लेट पहुँचूंगी पर अब मैं टाइम से पहुँच जाऊँगी ! फिर हम दोनों चल पड़े। रास्ते में मैंने उससे पूछा- आपका नाम क्या है ? वो बोली- साक्षी ! उसने मेरा नाम पूछा तो मैंने कहा- रिंकू ! मेरे दिमाग में एक ही बात चल रही थी कि इसका कोई बॉयफ़्रेंड है या नहीं ! मेरे से रहा नहीं गया, मैंने सीधे पूछ लिया- तुम्हारा कोई बॉयफ़्रेंड है या नहीं? वो बोली- अभी तक कोई लड़का पसंद नहीं आया। मैं मन ही मन खुश हो गया और सोचने लगा कि लगता है बात बन जाएगी ! क्योंकि लड़की जब सीधे लड़के के बारे में बात करे तो जान लो वो चुदक्कड़ है। फिर क्या था, मैं लग गया अपने काम पर ! उसने पूछा- तुम्हारी है कोई? मैंने कहा- नहीं ! मैं इन सब चीजों में विश्वास नहीं करता ! फिर मैंने उसको उसके कॉलेज छोड़ा और चला गया अपने दोस्त के पास। मैंने सारी बात उसको बताई। वो भी साला लौंडियों का चरसी था, बोला- बेटा चार दिनों के अन्दर वो तुझसे चुद जाएगी। मैंने कहा- अबे वो कैसे? बोला- बेटा यह अपना अनुभव है ! जा जाकर बोल दे फ्रेंडशिप के लिए। शाम को मैंने उसको बोला- साक्षी मेरे से दोस्ती करोगी? और उसने स्वीकार कर लिया। फिर क्या था ! अब हम दोनों काफी बातें करने लगे थे ! दो दिन के बाद मैंने पूछा- साक्षी, कभी सेक्सी मूवी देखी है? बोली- रिंकू, तुम भी न ! बच्चों वाली बाते क्यों करते हो? यह पूछो न कि कभी सेक्स किया है या नहीं ! मैं हैरान रह गया कि दिल्ली की लड़कियाँ इतनी खुली होती हैं ! फिर मैंने पूछा- कभी किया है? वो बोली- नहीं ! फिर उसने मेरे से पूछा- तुमने? मैंने कहा- नहीँ ! मैंने पूछा- तुम्हारा मन करता है करने का ? वो बोली- फिर न तुम बच्चों वाली बात करने लगे ! यह पूछो कि करोगी क्या? यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं। मैंने कहा- ओके जी, आप तो काफी कुछ सीख चुकी हैं ! फिर मैंने उसके पास गया और कस कर एक चुम्बन लिया ! वो गुस्से से लाल हो गई, बोली- तुम्हारी इतनी हिम्मत? तुम मेरे से बात मत करना ! फिर मैंने कहा- यह क्या बात हुई? कुछ न करो तो बच्चा बना देती हो और कुछ करो तो मेरे से बात मत करना ! फिर मैं भी अपने कमरे में चला आया वापस ! दो दिन के बाद वह पास में मदर डेयरी के पास मिली तो मैंने कोई बात नहीं की। उसने अपने आप ही बोला- सॉरी यार ! मैंने कहा- रहने दो तुम ! कुछ किया भी नहीं और डांट अलग से मिल जाती है ! मुझे कोई बात नहीं करनी ! वो बोली- ओ के बाबा, अब मान भी जाओ ! मैं घर की तरफ बढ़ रहा था और वो मेरे साथ साथ चल रही थी ! वो बोली- आज मम्मी नहीं रहेंगी रात को ! शादी में जा रही हैं, आज तुम्हें एक गिफ्ट मिलेगा, अब तो मान जाओ। मैं मुस्कुराया और हम दोनों घर आ गये ! अब तो मेरे से एक मिनट भी नहीं रहा जा रहा था ! शाम के करीब आठ बज चुके थे, मैं आंटी के निकलने का इन्तज़ार कर रहा था ! और वो घड़ी आ ही गई, आंटी करीब नौ बजे अपनी कार से निकलने लगी तो मुझसे बोली- बेटा, मैं एक शादी में जा रही हूँ, रात को दो बजे तक आऊँगी। ऊपर साक्षी अकेली है, उसका ख्याल रखना ! मैंने कहा- जी आंटी, आप जाओ मैं पूरा ध्यान रखूँगा ! और मैं ऊपर उसके घर में चला गया। साक्षी टीवी देख रही थी, मैंने कहा- हेलो मैडम जी, इंतज़ार किया जा रहा है मेरा? वो बोली- हेलो, आपका कोई इंतज़ार विन्तज़ार नहीं हो रहा ! खाना खाओ और सो जाओ ! मैंने कहा- यह क्या थोड़ी देर पहले नीचे बोल रही थी गिफ्ट ! ये ! वो ! बोली- वो तो तुम्हें मनाने के लिए बोला था। मैंने कहा- अच्छा जी ! लेकिन उसने एक ढीली से टीशर्ट और अफगानी पहनी हुई थी बड़ी सेक्सी लग रही थी ! मैंने टीवी का रिमोट लिया और मूवी देखने लगा, मैंने बोला- यार साक्षी, कुछ पीने के लिए नहीं है क्या? उसने फ़्रिज़ से एक कोल्ड ड्रिंक की बोतल निकाली और लाकर दे दी और खुद रसोई में चली गई। मेरे दिमाग में एक बात चल रही थी कैसे करूँ कुछ ! फिर लगा कि अगर चुम्मा लूँगा तो बुरा नहीं मानेगी ! और मैं चुपके से रसोई में गया और उससे पीछे से पकड़ लिया। वो बोली- क्या कर रहे हो? छोड़ो मुझे ! मैंने कहा- अब चुम्बन देना ही पड़ेगा। बोली- क्यों ! मैंने कहा- तुमने जो झूठ बोला मुझे गिफ्ट के लिए ! और मैंने उसे अपनी बाहों में भर लिया और जोरदार चूमा चाटी शुरू हो गई। वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थी ! क्या मुलायम होंठ थे ! हम चुम्बन में इतने डूब गये कुछ होश ही नहीं रहा। इतने में मैंने उसकी 34 इंच की गोल गोल चूचियों पर हाथ फेरना शुरू कर दिया। एक तरफ तो वो चुम्बन में मदहोश हो रही थी और मेरा हाथ अपने चूचियों से हटा भी रही थी, पर मैं भी अब कौन सा पीछे हटने वाला था ! अपना एक हाथ लगातार उसकी चूचियों पर फेर रहा था। अब मुझे भी जोश आ रहा था, मुझे लगा कि अब इसे भी मजा आने लगा है तो मैंने अपना हाथ टीशर्ट में डाल दिया और ब्रा का हुक खोल दिया। मैंने अब उसकी टी शर्ट भी उतार दी, उसकी चूचियाँ लहरा रही थी और दबने को बेताब थी ! इधर मेरा मोटा लण्ड अपने पूरे उफान पर था, कारगिल की तोप की तरह चूत में घुसने को बेचैन था ! अब उसे भी खुद का और किसी भी बंधन का ख्याल नहीं था, दोनों एक दूसरे को आगोश में मदहोशियों के साये में थे। उसने अपना एक हाथ अब मेरे लोअर डाल कर मेरे लण्ड को पकड़ लिया तो मुझे और ज्यादा मज़ा आने लगा था, मैं पूरे जोश में था, मन कर रहा था अब बस फाड़ दूँ उसकी चूत ! हम दोनों का शरीर एक बन चुका था, हम पूरी तरह से सटे हुए थे और दोनों एक दूसरे को चूम रहे थे ! उसके मम्मे तो मेरी जान ले रहे थे वो मेरे को सबसे ज्यादा उत्तेजित कर रहे थे। मैंने एक मम्मे को मुँह में ले लिया ! जैसे ही मैंने मुँह में चूची ली वो सिसकारियाँ लेने लगी और उफ़ उफ़ उह उह उह.... कर रही थी। जैसे ही मैंने उसकी अफ़गानी नीचे सरकाई, उसने मेरा लोवर भी नीचे सरका दिया, मुझे कस कर जकड़ लिया और उसने मेरे लण्ड को कस के पकड़ कर आगे पीछे सड़का मारने लगी। मैं मदहोश हुए जा रहा था ! अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था और वो भी कह रही थी- फक मी ! फक मी ! मैंने धीरे से अपना सुपारा उसकी चूत पर रखा और हल्का से जोर लगाया, वो जोर से चिल्लाई- मर गई ! उसकी चूत बिल्कुल सील बंद थी ! मैंने थोड़ा और जोर लगाया तो सुपारा अन्दर चला गया, वो दर्द के मारे सिसक रही थी और रोने लगी थी। मैंने थोड़ा धैर्य से काम लिया और दो मिनट उसका दर्द कम होने तक रुका रहा ! जैसे ही उसका दर्द कम हुआ, मैंने जोर से एक और झटका दिया और लंड पूरा अन्दर हो गया ! उसकी चूत से खून निकल आया था ! मैं उसकी चूचियों को दबा रहा था और चोद रहा था। एक मिनट के बाद उसको चुदाई का आनंद आने लगा था वो भी पूरा साथ दे रही थी ! करीब पाँच-छः मिनट के बाद मैं झड़ गया और २० मिनट तक उसके ऊपर ही पड़ा रहा ! उसके बाद मैं उठा और फ्रेश होकर आकर टीवी वाले कमरे में बैठ गया। थोड़ी देर में वो भी फ्रेश होकर आकर बैठ गई पर वो मेरे से नजर नहीं मिला रही थी। करीब एक घंटे के बाद मैंने उससे बोला- साक्षी, इतनी चुपचाप क्यों हो? कुछ बात करो ना ! वो कुछ नहीं बोली पर मैंने उसको एक बार अपने बाहों में भर लिया और एक प्यारी मुस्कान भरी चुम्मी दे दी ! वो मुस्कुराई और मेरे बाँहों में सिमट गई, बोली- तुम यह बात किसी को भी नहीं बताओगे ! मैंने मौके पे चौका मारते हुए कहा- एक शर्त है ! अगर तुम मुझे ऐसे ही प्यार करती रहोगी तो ? वो बोली- तुम पागल हो ! अब तुम सिर्फ मेरे हो ! दोस्तो, उसके बाद मेरी जिन्दगी की हर जरुरत उसकी जरुरत बन गई, मुझे वो अपने साथ मॉल ले जाती, मूवी दिखाती और वो सब कुछ करती जो एक अमीर लड़की को करना चाहिए। मेरे और उसके सम्बन्ध आज भी हैं और कब तक रहेगा यह मुझे खुद नहीं पता पर जो भी जो बात उसमें है वो किसी और में नहीं !