शमशेर सिंह मन ही मन बहुत खुश था. ९ साल की सर्विस में पहली बार उसकी
पोस्टिंग गर्ल स्कूल में हुई थी. ६ फीट से लंबा कद, कसरती बदन रौबिला चेहरा,
उसका रौब देखते ही बनता था. ३२ का होने के बावजूद उसने शादी नही की थी. ऐसा
नही था की उसको किसी ने दिल ही ना दिया हो, क्या शादी-शुदा क्या कुँवारी,
शायद ही कोई ऐसी हो जो उसको नजर भर देखते ही मर ना मिटे, पिछले स्कूल में भी
२-४ मॅडमो को वो अपनी रंगिनियत के दर्शन करा चुका था. पर आम राय यही थी की वो
निहायत ही सिन्सियर और सीरीयस टाइप का आदमी है. असलियत ये थी की वो कलियों का
रसिया था, फूलों का नही. और कलियों का रस पीने का अवसर उसको ६-७ साल से नही
मिला था. यही वजह थी की आज वो खुद पर काबू नही कर पा रहा था.
उसका इंतज़ार ख़तम होने ही वाला था
अचनाक उसके अग्रभाग में कुछ हल-चल होने से उसकी तंद्रा भंग हुई. २६-२७ साल की
एक औरत का पिछवाड़ा उसके लिंग से जा टकराया. उसने उस औरत की और देखा तो औरत
ने कहा, "सॉरी, भीड़ ज़्यादा है"
"इट्स ओक", शमशेर ने कहा और थोड़ा पिछे हो गया
औरत पढ़ी लिखी और सभ्य मालूम होती थी. रंग थोड़ा सांवला जरूर था पर यौवन पूरे
शबाब पर था. वो भी शमशेर को देखकर अट्रॅक्ट हुए बिना न रह सकी. कनखियों से
बार-बार पिछे देख लेती.
तभी बस ड्राइवर ने अचानक ब्रेक लगा दिए जिससे शमशेर का बदन एक-दम उस औरत से
जा टकराया. वो गिरने को हुई तो शमशेर ने एक हाथ आगे ले जाकर उसको मजबूती से
थाम लिया. किस्मत कहें या दुर्भाग्य, शमशेर के हाथ में उसका दायां स्तन था
जल्दी ही शमशेर ने सॉरी बोलते हुए अपना हाथ हटा लिया, पर उस औरत पर जो बीती
उसको तो वो ही समझ सकती थी.
"उफ, इतने मजबूत हाथ!" सोचते हुए औरत के पुरे बदन में सिहरन दौड़ गयी
उसके एक बार छुने से ही उसकी पैंटी गीली हो गयी. वो खुद पे शर्मिंदा सी हुई
पर कुछ बोल ना सकी
उधर शमशेर भी ताड़ गया की वो कुँवारी है. इतना कसा हुआ बदन शादीशुदा का तो हो
नही सकता. उसने उससे पूछ ही लिया, जी क्या मैं आपका नाम जान सकता हूँ?"
थोड़ा सोचते हुए उसने जवाब दिया,
"जी मेरा नाम अंजलि है"
शमशेर: कहाँ तक जा रही हैं आप?
अंजलि: जी भिवानी से आगे लोहरू गाँव है, मैं वहाँ गर्ल स्कूल में प्रिन्सिपल
हूँ
सुनते ही शमशेर चौंक गया. यही नाम तो बताया गया था उसे प्रिन्सिपल का पर कुछ
सोचकर उसने अपने बारे में कुछ नही बताया
अजीब संयोग था, अंजलि को पकड़ते ही वो भाँप गया था की यहाँ चान्स हैं
धीरे-धीरे बस में भीड़ बढ़ने लगी और अंजलि ने पिछे घूम कर शमशेर की और मुँह
कर लिया. तभी एक सीट खाली हुई पर जाने क्यूँ अंजलि को शमशेर से दूर जाना
अच्छा नही लगा उसने सीट एक बुढ़िया को ऑफर कर दी और खुद वही खड़ी रही
अंजलि,"कहाँ खो गये आप"शमशेर: कुछ नही बस यही सोच रहा था की आपकी अभी तक शादी
क्यूँ नही हुई?
अंजलि सुनकर शर्मा सी गयी और बोली: ज..जी आपको कैसे मालूम
शमशेर ने भी तीर छोड़ा: आपके बदन की कसावट देखकर... शादी तो हमारी भी नही हुई
पर दुनिया तो देख ही चुके हैं.
अंजलि: जी.. क्या मतलब?
शमशेर: खैर जाने दें, पर इतनी कम उम्र में आप प्रिन्सिपल! यकीन नही आता!
अंजलि: हो सकता है पर में २ साल पहले डाइरेक्ट अपायंट हुई हूँ
यूँ ही बातों का सिल-सिला चलते-चलते अंजलि को जाने क्या मस्ती सूझी उसने
उल्टियाँ आने की बात कही और शमशेर के कंधे पर सिर टीका लिया. शमशेर ने एक
लड़के की सीट खाली कराई और अंजलि को वहाँ बैठा दिया अंजलि मायूस सी हो गयी पर
जल्दी ही उसके साथ वाली सवारी उठ गयी और शमशेर भी उसके साथ जा बैठा अंजलि ने
उसकी छाति पर सिर रख लिया
शमशेर समझ गया था की ये चिड़िया फँसने वाली है वो भी उसके बालों में हाथ
फेरने लगा अंजलि ने नींद का बहाना किया और उसकी गोद में सिर रख लिया
अब ये शमशेर के भी सहन के बाहर की बात थी पैंट में छिपा उसका औजार अंगड़ाई
लेने लगा अंजलि भी क्यूंकी सोने की एक्टिंग कर रही थी इसलिए वो उस हलचल को
ताड़ गयी नींद की एक्टिंग करते-करते ही उसने अपना एक हाथ सिर के नीचे रख लिया
अब वो उसकी बढ़ती लंबाई को डायरेक्ट्ली फील कर सकती थी
अंजलि का चेहरा लाल होता जा रहा था उसकी दबी हुई सेक्स भावना सुलगने लगी थी
ऐसे शानदार मर्द को देखकर वो अपनी मर्यादा भूल गयी थी फिर उसके लिए तो वो एक
अंजान मर्द ही था फिर २-३ घंटे के लिए...हर्ज ही क्या है?
अचानक कैथल बस स्टैंड पर चाय पानी के लिए बस रुकी शमशेर को भी अहसास था वो
जाग रही है पर अंजान बनते हुए वो उसके कुल्हों पर हाथ लगाकर उसको उठाने लगा
२-३ बार उसको हिलने पर जैसे उसने जागने की आक्टिंग करी फिर बोली "ओह सॉरी"
शमशेर: अरे इसमें सॉरी की क्या बात है पर जरा सी प्राब्लम है
अंजलि: वो क्या?
शमशेर: वो ये की आपने मेरे एहसास को जगा दिया है अब मुझे बाथरूम जाना पड़ेगा
आपके लिए पानी और कुछ खाने को भी ले आता हूँ कहकर वो बस से उतर गया
अंजलि खुद पर हैरान थी माना वो मर्द ही ऐसा है पर वो खुद इतनी हिम्मत कैसे कर
गयी मन ही मन सोच रही थी की काश ये सफर कभी पूरा ना हो और वो जन्नत का अहसास
करती रहे यक़ीनन आज से पहले उसकी जिंदगी में कभी ऐसा नही हुआ था
उधर शमशेर बाकी रास्ते को रंगीन बनाने की तैयारी कर रहा था उसने नशे की गोली
खरीदी और कोल्ड्रींक में मिला दिया अंधेरा हो गया था उसने अपनी पैंट की ज़िप
खुली छोड़ दी ताकि अंजलि को उसे महसूस करने में आसानी हो सके
शमशेर मन ही मन सोच रहा था अगर अंजलि ही वो लड़की है जिसके स्कूल में जाकर
उसको जोइन करना है, फिर तो उसकी पाँचो उंगलियाँ घी में होंगी उसको अंजलि की
हालत देखकर यकीन हो चला था की अगर वो शुरुआत करेगा तो अंजलि पीछे नही रहेगी
पर अगर वो जान गयी की मैं उसके स्कूल मैं ही जोइन करने जा रहा हूँ तो वो हिचक
जाएगी इसीलिए वो आज ही उसको पता लगने से पहले ही उसकी चूत मार लेना चाहता था
साथ-साथ उसको एक डर भी था! अगर अंजलि के मन को वो भाँप नही पाया, और उसने
शुरुआत कर दी और अंजलि का रिएक्शन अलग हुआ तो फिर मुश्किल हो जाएगी ऐसे में
वो स्कूल जाकर उसका सामना कैसे करेगा इसीलिए शमशेर चाहता था की पहल अंजलि की
तरफ से ही होनी चाहिए अचानक बस स्टार्ट हो गयी और वो यही सोचता हुआ बस में
चढ़ गया
अंजलि: कहाँ रह गये थे आप; मैने तो सोचा आप वापस ही नही आओगे
शमशेर: अरे नही... आपके लिए कोल्ड-ड्रिंक और फ्रूट्स लाने चला गया था
कोल्ड्रींक की वो बोतल जिसमें उसने नशे की गोलियाँ मिलाई थी उसकी तरफ करते
हुए कहा
अंजलि: सॉरी सर, लेकिन मैं कोल्ड्रींक नही पीती
शमशेर को अपने अरमानो पर पानी फिरता महसूस हुआ
शमशेर: अरे लीजिए ना, आपको उल्टियाँ आ रही थी, इसीलिए... इससे आपका दिल नही
मचलेगा
अंजलि: थैंक्स, बट मैं पी नही पाउन्गि, इनफैक्ट मैं कभी नही पीती हां फ्रूट्स
जरूर लूँगी हंसते हुए उसने कहा
शमशेर ने अनबूझे मन से कोल्ड्रींक की बोतल बॅग में रख ली फिर बोला,"
लीजिए केला खाइए
केले का साइज देखकर अंजलि को कुछ याद आया और उसकी हँसी छूट गयी वो मुश्किल से
३ इंच लंबा था
शमशेर: जी, क्या हुआ?
अंजली हांसते हुए जी कुछ नही.
अंजलि को केले की और देखता पाकर शमशेर कुछ-कुछ समझ गया
शमशेर: बताइए ना क्या बात है वैसे आप हँसती हुई बहुत सुंदर लगती हैं
अंजलि: क्या मतलब. वैसे नही लगती..
शमशेर: अरे नही....
अंजलि: जाने दीजिए, मैं तो आपके केले को देख कर हंस रही थी
शमशेर का ध्यान सीधा अपनी पैट की तरफ गया एक पल के लिए उसको लगा कहीं ज़िप
खुली होने से उसका केला तो बाहर नही निकल आया सब ठीक ठाक था फिर केले के साइज
को देखकर मामला समझ गया
शमशेर: जी क्या करे, मैने खुद तो उगाया नही है यहाँ बस यही मिले
अंजलि की हँसी रुकने का नाम ही नही ले रही थी उसके मन में तो दूसरा ही केला
घूम रहा था हालाँकि उसने अपने व्यक्तीता का हमेशा ख्याल रखा था. पर शमशेर के
नायाब जिस्म को देखकर उसमें खुमारी आती जा रही थी
अंजलि: शमशेर जी, आप करते क्या हैं?
__________________शमशेर: अजी जिन बातों का समय आने पर खुद ही पता चल जाना है
उनके बारे में क्या बात करनी आप अपनी बताइए, आपने शादी क्यूँ नही की?
अंजली कुछ देर सोचते हुए, है तो पर्सनल मेटर पर मैं नही समझती की आपको बताने
से कोई नुकसान होगा आक्च्युली मेरी छोटि बहन ६ साल पहले किसी लड़के के साथ
भाग गयी थी. बस तब से ही सब कुछ बिखर गया पापा पहले ही नही थे, मम्मी ने
स्यूसाइड कर लिया... कहते हुए अंजलि फफक पड़ी. मुझे नही पता मेरी गलती क्या
है, पर अब मैने अकेले ही जीने की सोच ली है
शमशेर बुरी तरह विचलित हो गया उसे कहने को कुछ नही मिल रहा था फिर धीरे से
बोला,"सॉरी अंजलि जी" मैने तो बस यूँही पूछ लिया था
अंन्जलि ने उसके कंधे पर सर रखा और सुबकने लगी
शमशेर को और कुछ नही सूझा तो वो बोला मुझसे नही पूछेंगी क्या मैने शादी क्यूँ
नही की!
अंजलि की आँखों में अचानक जैसे चमक आ गयी और हड़बड़ा कर बोली,"
क्या आपने भी... मतलब क्या आपकी शादी...क्यूँ नही की आपने
शमशेर: कुछ फिज़िकल प्राब्लम है?
अंजलि जैसे अपने गुम को भूल गयी थी,"क्या प्राब्लम है"
शमशेर ने मज़ाक में कहा,"बताने लायक नही है मेडम"
अंजलि: क्यूँ नही है, क्या हम दोस्त नही हैं?
शमशेर: जी वो एररेक्टिओं में प्राब्लम है
अंजलि एररेक्टिओं का मतलब अच्छि तरह समझती थी की वो अपना लंड खड़ा ना हो सकने
के बारे में कह रहा है पर ये तो झूठ था, वो खुद महसूस कर चुकी थी पर वो कह
क्या सकती थी? सो चुप रही
शमशेर: क्या हुआ? मैने तो पहले ही कहा था की बताने लायक नही है
अंजलि: (शरमाते हुए) मुझे नही पता, मुझे नींद आ रही है, क्या मैं आपकी गोद
में सर रखकर सो जाउ
शमशेर: हां हां क्यूँ नही और उसने अंजलि को अपनी गोद में लिटा लिया
अंजलि ने वही किया, अपने हाथ को सर के नीचे रख लिया और धीरे-धीरे हाथ हिलाने
लगी ऐसा करने से उसने महसूस किया की शमशेर का लंड अपने विकराल आकर में आता जा
रहा है अंजलि सोच रही थी की उसने झूठ क्यूँ बोला. उधर शमशेर ने भी सोने की
आक्टिंग करते हुए अपने हाथ धीरे-धीरे अंजलि के कंधे से सरका कर उसकी मांसल
तनी हुई चूंचियों पर ले गया दोनो की उत्तेजना बढ़ती जा रही थी. जैसे ही शमशेर
आगे बढ़कर उसकी चूत पर हाथ ले जाने ही वाला था की अचानक अंजलि उठी और
बोली,"झुठे, तुमने झूठ क्यूँ बोला" उसकी आवाज में मानो नाराजगी नही, एक
बुलावा था; सेक्स के लिए
शमशेर आँखें बंद किए हुए ही बोला,"क्या झूठ बोला मैने आपसे"
अंजलि: यही की एररेक्ट नही होता.
शमशेर: तो मैने झूठ कहाँ बोला? हां नही होता
अंजलि: मैने चेक किया है वो धीरे-धीरे बोल रही थी
शमशेर: क्या चेक किया है आपने
अंजलि उसके बाद कुछ बोलने ही वाली थी की अचानक बस बंद हो गयी कंडक्टर ने
बताया की बस खराब हो गयी है आगे दूसरी बस मैं जाना पड़ेगा
आमतौर पर इस सिचुयेशन में ख़ासकर अकेली लेडीस की हालत खराब हो जाती है
पर अंजलि ने चहकते हुए कहा,"अब मैं कैसे जाउंगी"
शमशेर," मैं हूं ना""चलो समान उतारो"
बस से उतारकर दोनों सड़क के किनारे खड़े हो गये अंजलि से कंट्रोल नही हो रहा
था वो सोच रही थी इतना कुछ होने के बाद भी ये पता नही किस बात का इंतज़ार कर
रहा है एक-एक करके सभी लोग चले गये लेकिन ना तो शमशेर और ना ही अंजलि को जाने
की जल्दी थी दोनों चाह कर भी शुरुआत नही कर पा रहे थे फिर ड्राइवर और कंडक्टर
भी चले गये तो वहाँ सब सुनसान नजर आने लगा
अचानक अंजलि ने चुप्पी तोड़ी,"अब क्या करेंगे?"
शमशेर: बोलो क्या करें?
अंजलि: अरे तुम्ही तो कह रहे थे,"मैं हूँ ना" अब क्या हुआ?
शमशेर चलना तो नही चाहता था पर बोला"ठीक है", अब की बार कोई भी वेहिकल आएगा
तो लिफ्ट ले लेंगे
अंजलि: मैं तो बहुत तक गयी हूँ. क्या कुछ देर बस में चलकर बैठें? मुझे प्यास
भी लगी है
वो दोनों जाकर बस में बैठ गये फिर अचानक शमशेर को कोल्ड्रींक याद आई जो उसने
बैग में रखी थी वो अपना रंग दिखा सकती थी शमशेर ने कहा,"प्यास का तो मेरे पास
एक ही इलाज है
अंजलि:क्या?
शमशेर: वो कोल्ड्रींक!
अंजलि: अरे हां...थैंक्स... उससे प्यास मिट जाएगी.. लाओ प्लीज!
शमशेर ने बैग से निकाल कर वो बोतल अंजलि को दे दी. अंजलि ने सारी बोतल खाली
कर दी, १०-१५ मीं. में ही गोली अपना रंग दिखाने लगी थी अंजलि ने शमशेर से
कहा," क्या हम यही सो जायें सुबह चलेंगे
अंजलि पर नशे का सुरूर सॉफ दिखाई दे रहा था अब शमशेर को लगा बात बढ़ानी
चाहिए. वो बोला," आप बस में क्या कह रही थी"
अंजलि,"मुझे आप क्यू कहते हो तुम? मुझे अंजलि कहो ना
शमशेर: वो तो ठीक है पर आप प्रिन्सिपल हो
अंजलि: फिर आप, मैं कोई तुम्हारी प्रिन्सिपल थोड़े ही हूँ, मुझे अंजलि कहो ना
प्लीज.. नही अंजू कहो और हां तुमने झूठ क्यूँ बोला की एररेक्टिओं की प्राब्लम
है
शमशेर: तुम्हे कैसे पता की मैने झूठ बोला
अंजलि: मैने चेक किया था ये
शमशेर: ये क्या!अंजलि खूब उत्तेजित हो चुकी थी उसने कुछ सोचा और शमशेर की
पैंट को आगे से हाथ लगाकर बोली,"ये"... "अरे तुम्हारी तो जीप खुली है. हा हा
हा
शमशेर को पता था वो नशे में है वो बोला," क्या तुम्हे नींद नही आ रही?
आओ मेरी गोद में सिर रख लो!
अंजलि: नही मुझे देखना है ये कैसे खड़ा नही होता, अगर मैं इसको खड़ा कर दूं
तो तुम मुझे क्या दोगे
शमशेर कुछ नही बोला
अंजलि: बोलो ना...
शमशेर: जो तुम चाहोगी!
अंजलि: ओके निकालो बाहर!
शमशेर: क्या निकालू?
अंजलि: छि-छि नाम नही लेते, ठीक है मैं खुद निकाल लेती हूँ, कहते हुए वो भूखी
शेरनी की तरह शमशेर पर टूट पड़ी
शमशेर तो जैसे इसी मौके के इंतज़ार मैं था उसने अंजलि को जैसे लपक लिया नीचे
सीट पर गिरा लिया और उसे कपड़ों के उपर से ही चूमने लगा अंजलि बदहवास हो चुकी
थी उसने शमशेर का चेहरा अपने हाथों में लिया और उसके होंठों को अपने होठों
में दबा लिया शमशेर के हाथ उसकी चूंचियों पर कहर ढा रहे थे एक-एक करके वह
दोनो चूंचियों को बुरी तरह मसल रहे थे अंजलि अब उसकी छाति सहलाते हुए
बड़बड़ाने लगी थी..ओह लव मि प्लीज़.. लव मि... आइ कांट वेट.. आइ कांट लिव..
विदाउट यू जान..
सुनसान सड़क पर खड़ी बस में तूफान आया हुआ था एक-एक करके जब शमशेर ने अंजलि
का हर कपड़ा उसके शरीर से अलग कर दिया तो वो देखता ही रह गया स्वर्ग से उतरी
मेनका जैसा जिस्म.. Bus uske bAAd ki story toh aap jante he hai wahi chudai aur fir maine uska school join kar liya aur hum dono bahut khush the fir hum dono ne baad mai shadi kar li.
पोस्टिंग गर्ल स्कूल में हुई थी. ६ फीट से लंबा कद, कसरती बदन रौबिला चेहरा,
उसका रौब देखते ही बनता था. ३२ का होने के बावजूद उसने शादी नही की थी. ऐसा
नही था की उसको किसी ने दिल ही ना दिया हो, क्या शादी-शुदा क्या कुँवारी,
शायद ही कोई ऐसी हो जो उसको नजर भर देखते ही मर ना मिटे, पिछले स्कूल में भी
२-४ मॅडमो को वो अपनी रंगिनियत के दर्शन करा चुका था. पर आम राय यही थी की वो
निहायत ही सिन्सियर और सीरीयस टाइप का आदमी है. असलियत ये थी की वो कलियों का
रसिया था, फूलों का नही. और कलियों का रस पीने का अवसर उसको ६-७ साल से नही
मिला था. यही वजह थी की आज वो खुद पर काबू नही कर पा रहा था.
उसका इंतज़ार ख़तम होने ही वाला था
अचनाक उसके अग्रभाग में कुछ हल-चल होने से उसकी तंद्रा भंग हुई. २६-२७ साल की
एक औरत का पिछवाड़ा उसके लिंग से जा टकराया. उसने उस औरत की और देखा तो औरत
ने कहा, "सॉरी, भीड़ ज़्यादा है"
"इट्स ओक", शमशेर ने कहा और थोड़ा पिछे हो गया
औरत पढ़ी लिखी और सभ्य मालूम होती थी. रंग थोड़ा सांवला जरूर था पर यौवन पूरे
शबाब पर था. वो भी शमशेर को देखकर अट्रॅक्ट हुए बिना न रह सकी. कनखियों से
बार-बार पिछे देख लेती.
तभी बस ड्राइवर ने अचानक ब्रेक लगा दिए जिससे शमशेर का बदन एक-दम उस औरत से
जा टकराया. वो गिरने को हुई तो शमशेर ने एक हाथ आगे ले जाकर उसको मजबूती से
थाम लिया. किस्मत कहें या दुर्भाग्य, शमशेर के हाथ में उसका दायां स्तन था
जल्दी ही शमशेर ने सॉरी बोलते हुए अपना हाथ हटा लिया, पर उस औरत पर जो बीती
उसको तो वो ही समझ सकती थी.
"उफ, इतने मजबूत हाथ!" सोचते हुए औरत के पुरे बदन में सिहरन दौड़ गयी
उसके एक बार छुने से ही उसकी पैंटी गीली हो गयी. वो खुद पे शर्मिंदा सी हुई
पर कुछ बोल ना सकी
उधर शमशेर भी ताड़ गया की वो कुँवारी है. इतना कसा हुआ बदन शादीशुदा का तो हो
नही सकता. उसने उससे पूछ ही लिया, जी क्या मैं आपका नाम जान सकता हूँ?"
थोड़ा सोचते हुए उसने जवाब दिया,
"जी मेरा नाम अंजलि है"
शमशेर: कहाँ तक जा रही हैं आप?
अंजलि: जी भिवानी से आगे लोहरू गाँव है, मैं वहाँ गर्ल स्कूल में प्रिन्सिपल
हूँ
सुनते ही शमशेर चौंक गया. यही नाम तो बताया गया था उसे प्रिन्सिपल का पर कुछ
सोचकर उसने अपने बारे में कुछ नही बताया
अजीब संयोग था, अंजलि को पकड़ते ही वो भाँप गया था की यहाँ चान्स हैं
धीरे-धीरे बस में भीड़ बढ़ने लगी और अंजलि ने पिछे घूम कर शमशेर की और मुँह
कर लिया. तभी एक सीट खाली हुई पर जाने क्यूँ अंजलि को शमशेर से दूर जाना
अच्छा नही लगा उसने सीट एक बुढ़िया को ऑफर कर दी और खुद वही खड़ी रही
अंजलि,"कहाँ खो गये आप"शमशेर: कुछ नही बस यही सोच रहा था की आपकी अभी तक शादी
क्यूँ नही हुई?
अंजलि सुनकर शर्मा सी गयी और बोली: ज..जी आपको कैसे मालूम
शमशेर ने भी तीर छोड़ा: आपके बदन की कसावट देखकर... शादी तो हमारी भी नही हुई
पर दुनिया तो देख ही चुके हैं.
अंजलि: जी.. क्या मतलब?
शमशेर: खैर जाने दें, पर इतनी कम उम्र में आप प्रिन्सिपल! यकीन नही आता!
अंजलि: हो सकता है पर में २ साल पहले डाइरेक्ट अपायंट हुई हूँ
यूँ ही बातों का सिल-सिला चलते-चलते अंजलि को जाने क्या मस्ती सूझी उसने
उल्टियाँ आने की बात कही और शमशेर के कंधे पर सिर टीका लिया. शमशेर ने एक
लड़के की सीट खाली कराई और अंजलि को वहाँ बैठा दिया अंजलि मायूस सी हो गयी पर
जल्दी ही उसके साथ वाली सवारी उठ गयी और शमशेर भी उसके साथ जा बैठा अंजलि ने
उसकी छाति पर सिर रख लिया
शमशेर समझ गया था की ये चिड़िया फँसने वाली है वो भी उसके बालों में हाथ
फेरने लगा अंजलि ने नींद का बहाना किया और उसकी गोद में सिर रख लिया
अब ये शमशेर के भी सहन के बाहर की बात थी पैंट में छिपा उसका औजार अंगड़ाई
लेने लगा अंजलि भी क्यूंकी सोने की एक्टिंग कर रही थी इसलिए वो उस हलचल को
ताड़ गयी नींद की एक्टिंग करते-करते ही उसने अपना एक हाथ सिर के नीचे रख लिया
अब वो उसकी बढ़ती लंबाई को डायरेक्ट्ली फील कर सकती थी
अंजलि का चेहरा लाल होता जा रहा था उसकी दबी हुई सेक्स भावना सुलगने लगी थी
ऐसे शानदार मर्द को देखकर वो अपनी मर्यादा भूल गयी थी फिर उसके लिए तो वो एक
अंजान मर्द ही था फिर २-३ घंटे के लिए...हर्ज ही क्या है?
अचानक कैथल बस स्टैंड पर चाय पानी के लिए बस रुकी शमशेर को भी अहसास था वो
जाग रही है पर अंजान बनते हुए वो उसके कुल्हों पर हाथ लगाकर उसको उठाने लगा
२-३ बार उसको हिलने पर जैसे उसने जागने की आक्टिंग करी फिर बोली "ओह सॉरी"
शमशेर: अरे इसमें सॉरी की क्या बात है पर जरा सी प्राब्लम है
अंजलि: वो क्या?
शमशेर: वो ये की आपने मेरे एहसास को जगा दिया है अब मुझे बाथरूम जाना पड़ेगा
आपके लिए पानी और कुछ खाने को भी ले आता हूँ कहकर वो बस से उतर गया
अंजलि खुद पर हैरान थी माना वो मर्द ही ऐसा है पर वो खुद इतनी हिम्मत कैसे कर
गयी मन ही मन सोच रही थी की काश ये सफर कभी पूरा ना हो और वो जन्नत का अहसास
करती रहे यक़ीनन आज से पहले उसकी जिंदगी में कभी ऐसा नही हुआ था
उधर शमशेर बाकी रास्ते को रंगीन बनाने की तैयारी कर रहा था उसने नशे की गोली
खरीदी और कोल्ड्रींक में मिला दिया अंधेरा हो गया था उसने अपनी पैंट की ज़िप
खुली छोड़ दी ताकि अंजलि को उसे महसूस करने में आसानी हो सके
शमशेर मन ही मन सोच रहा था अगर अंजलि ही वो लड़की है जिसके स्कूल में जाकर
उसको जोइन करना है, फिर तो उसकी पाँचो उंगलियाँ घी में होंगी उसको अंजलि की
हालत देखकर यकीन हो चला था की अगर वो शुरुआत करेगा तो अंजलि पीछे नही रहेगी
पर अगर वो जान गयी की मैं उसके स्कूल मैं ही जोइन करने जा रहा हूँ तो वो हिचक
जाएगी इसीलिए वो आज ही उसको पता लगने से पहले ही उसकी चूत मार लेना चाहता था
साथ-साथ उसको एक डर भी था! अगर अंजलि के मन को वो भाँप नही पाया, और उसने
शुरुआत कर दी और अंजलि का रिएक्शन अलग हुआ तो फिर मुश्किल हो जाएगी ऐसे में
वो स्कूल जाकर उसका सामना कैसे करेगा इसीलिए शमशेर चाहता था की पहल अंजलि की
तरफ से ही होनी चाहिए अचानक बस स्टार्ट हो गयी और वो यही सोचता हुआ बस में
चढ़ गया
अंजलि: कहाँ रह गये थे आप; मैने तो सोचा आप वापस ही नही आओगे
शमशेर: अरे नही... आपके लिए कोल्ड-ड्रिंक और फ्रूट्स लाने चला गया था
कोल्ड्रींक की वो बोतल जिसमें उसने नशे की गोलियाँ मिलाई थी उसकी तरफ करते
हुए कहा
अंजलि: सॉरी सर, लेकिन मैं कोल्ड्रींक नही पीती
शमशेर को अपने अरमानो पर पानी फिरता महसूस हुआ
शमशेर: अरे लीजिए ना, आपको उल्टियाँ आ रही थी, इसीलिए... इससे आपका दिल नही
मचलेगा
अंजलि: थैंक्स, बट मैं पी नही पाउन्गि, इनफैक्ट मैं कभी नही पीती हां फ्रूट्स
जरूर लूँगी हंसते हुए उसने कहा
शमशेर ने अनबूझे मन से कोल्ड्रींक की बोतल बॅग में रख ली फिर बोला,"
लीजिए केला खाइए
केले का साइज देखकर अंजलि को कुछ याद आया और उसकी हँसी छूट गयी वो मुश्किल से
३ इंच लंबा था
शमशेर: जी, क्या हुआ?
अंजली हांसते हुए जी कुछ नही.
अंजलि को केले की और देखता पाकर शमशेर कुछ-कुछ समझ गया
शमशेर: बताइए ना क्या बात है वैसे आप हँसती हुई बहुत सुंदर लगती हैं
अंजलि: क्या मतलब. वैसे नही लगती..
शमशेर: अरे नही....
अंजलि: जाने दीजिए, मैं तो आपके केले को देख कर हंस रही थी
शमशेर का ध्यान सीधा अपनी पैट की तरफ गया एक पल के लिए उसको लगा कहीं ज़िप
खुली होने से उसका केला तो बाहर नही निकल आया सब ठीक ठाक था फिर केले के साइज
को देखकर मामला समझ गया
शमशेर: जी क्या करे, मैने खुद तो उगाया नही है यहाँ बस यही मिले
अंजलि की हँसी रुकने का नाम ही नही ले रही थी उसके मन में तो दूसरा ही केला
घूम रहा था हालाँकि उसने अपने व्यक्तीता का हमेशा ख्याल रखा था. पर शमशेर के
नायाब जिस्म को देखकर उसमें खुमारी आती जा रही थी
अंजलि: शमशेर जी, आप करते क्या हैं?
__________________शमशेर: अजी जिन बातों का समय आने पर खुद ही पता चल जाना है
उनके बारे में क्या बात करनी आप अपनी बताइए, आपने शादी क्यूँ नही की?
अंजली कुछ देर सोचते हुए, है तो पर्सनल मेटर पर मैं नही समझती की आपको बताने
से कोई नुकसान होगा आक्च्युली मेरी छोटि बहन ६ साल पहले किसी लड़के के साथ
भाग गयी थी. बस तब से ही सब कुछ बिखर गया पापा पहले ही नही थे, मम्मी ने
स्यूसाइड कर लिया... कहते हुए अंजलि फफक पड़ी. मुझे नही पता मेरी गलती क्या
है, पर अब मैने अकेले ही जीने की सोच ली है
शमशेर बुरी तरह विचलित हो गया उसे कहने को कुछ नही मिल रहा था फिर धीरे से
बोला,"सॉरी अंजलि जी" मैने तो बस यूँही पूछ लिया था
अंन्जलि ने उसके कंधे पर सर रखा और सुबकने लगी
शमशेर को और कुछ नही सूझा तो वो बोला मुझसे नही पूछेंगी क्या मैने शादी क्यूँ
नही की!
अंजलि की आँखों में अचानक जैसे चमक आ गयी और हड़बड़ा कर बोली,"
क्या आपने भी... मतलब क्या आपकी शादी...क्यूँ नही की आपने
शमशेर: कुछ फिज़िकल प्राब्लम है?
अंजलि जैसे अपने गुम को भूल गयी थी,"क्या प्राब्लम है"
शमशेर ने मज़ाक में कहा,"बताने लायक नही है मेडम"
अंजलि: क्यूँ नही है, क्या हम दोस्त नही हैं?
शमशेर: जी वो एररेक्टिओं में प्राब्लम है
अंजलि एररेक्टिओं का मतलब अच्छि तरह समझती थी की वो अपना लंड खड़ा ना हो सकने
के बारे में कह रहा है पर ये तो झूठ था, वो खुद महसूस कर चुकी थी पर वो कह
क्या सकती थी? सो चुप रही
शमशेर: क्या हुआ? मैने तो पहले ही कहा था की बताने लायक नही है
अंजलि: (शरमाते हुए) मुझे नही पता, मुझे नींद आ रही है, क्या मैं आपकी गोद
में सर रखकर सो जाउ
शमशेर: हां हां क्यूँ नही और उसने अंजलि को अपनी गोद में लिटा लिया
अंजलि ने वही किया, अपने हाथ को सर के नीचे रख लिया और धीरे-धीरे हाथ हिलाने
लगी ऐसा करने से उसने महसूस किया की शमशेर का लंड अपने विकराल आकर में आता जा
रहा है अंजलि सोच रही थी की उसने झूठ क्यूँ बोला. उधर शमशेर ने भी सोने की
आक्टिंग करते हुए अपने हाथ धीरे-धीरे अंजलि के कंधे से सरका कर उसकी मांसल
तनी हुई चूंचियों पर ले गया दोनो की उत्तेजना बढ़ती जा रही थी. जैसे ही शमशेर
आगे बढ़कर उसकी चूत पर हाथ ले जाने ही वाला था की अचानक अंजलि उठी और
बोली,"झुठे, तुमने झूठ क्यूँ बोला" उसकी आवाज में मानो नाराजगी नही, एक
बुलावा था; सेक्स के लिए
शमशेर आँखें बंद किए हुए ही बोला,"क्या झूठ बोला मैने आपसे"
अंजलि: यही की एररेक्ट नही होता.
शमशेर: तो मैने झूठ कहाँ बोला? हां नही होता
अंजलि: मैने चेक किया है वो धीरे-धीरे बोल रही थी
शमशेर: क्या चेक किया है आपने
अंजलि उसके बाद कुछ बोलने ही वाली थी की अचानक बस बंद हो गयी कंडक्टर ने
बताया की बस खराब हो गयी है आगे दूसरी बस मैं जाना पड़ेगा
आमतौर पर इस सिचुयेशन में ख़ासकर अकेली लेडीस की हालत खराब हो जाती है
पर अंजलि ने चहकते हुए कहा,"अब मैं कैसे जाउंगी"
शमशेर," मैं हूं ना""चलो समान उतारो"
बस से उतारकर दोनों सड़क के किनारे खड़े हो गये अंजलि से कंट्रोल नही हो रहा
था वो सोच रही थी इतना कुछ होने के बाद भी ये पता नही किस बात का इंतज़ार कर
रहा है एक-एक करके सभी लोग चले गये लेकिन ना तो शमशेर और ना ही अंजलि को जाने
की जल्दी थी दोनों चाह कर भी शुरुआत नही कर पा रहे थे फिर ड्राइवर और कंडक्टर
भी चले गये तो वहाँ सब सुनसान नजर आने लगा
अचानक अंजलि ने चुप्पी तोड़ी,"अब क्या करेंगे?"
शमशेर: बोलो क्या करें?
अंजलि: अरे तुम्ही तो कह रहे थे,"मैं हूँ ना" अब क्या हुआ?
शमशेर चलना तो नही चाहता था पर बोला"ठीक है", अब की बार कोई भी वेहिकल आएगा
तो लिफ्ट ले लेंगे
अंजलि: मैं तो बहुत तक गयी हूँ. क्या कुछ देर बस में चलकर बैठें? मुझे प्यास
भी लगी है
वो दोनों जाकर बस में बैठ गये फिर अचानक शमशेर को कोल्ड्रींक याद आई जो उसने
बैग में रखी थी वो अपना रंग दिखा सकती थी शमशेर ने कहा,"प्यास का तो मेरे पास
एक ही इलाज है
अंजलि:क्या?
शमशेर: वो कोल्ड्रींक!
अंजलि: अरे हां...थैंक्स... उससे प्यास मिट जाएगी.. लाओ प्लीज!
शमशेर ने बैग से निकाल कर वो बोतल अंजलि को दे दी. अंजलि ने सारी बोतल खाली
कर दी, १०-१५ मीं. में ही गोली अपना रंग दिखाने लगी थी अंजलि ने शमशेर से
कहा," क्या हम यही सो जायें सुबह चलेंगे
अंजलि पर नशे का सुरूर सॉफ दिखाई दे रहा था अब शमशेर को लगा बात बढ़ानी
चाहिए. वो बोला," आप बस में क्या कह रही थी"
अंजलि,"मुझे आप क्यू कहते हो तुम? मुझे अंजलि कहो ना
शमशेर: वो तो ठीक है पर आप प्रिन्सिपल हो
अंजलि: फिर आप, मैं कोई तुम्हारी प्रिन्सिपल थोड़े ही हूँ, मुझे अंजलि कहो ना
प्लीज.. नही अंजू कहो और हां तुमने झूठ क्यूँ बोला की एररेक्टिओं की प्राब्लम
है
शमशेर: तुम्हे कैसे पता की मैने झूठ बोला
अंजलि: मैने चेक किया था ये
शमशेर: ये क्या!अंजलि खूब उत्तेजित हो चुकी थी उसने कुछ सोचा और शमशेर की
पैंट को आगे से हाथ लगाकर बोली,"ये"... "अरे तुम्हारी तो जीप खुली है. हा हा
हा
शमशेर को पता था वो नशे में है वो बोला," क्या तुम्हे नींद नही आ रही?
आओ मेरी गोद में सिर रख लो!
अंजलि: नही मुझे देखना है ये कैसे खड़ा नही होता, अगर मैं इसको खड़ा कर दूं
तो तुम मुझे क्या दोगे
शमशेर कुछ नही बोला
अंजलि: बोलो ना...
शमशेर: जो तुम चाहोगी!
अंजलि: ओके निकालो बाहर!
शमशेर: क्या निकालू?
अंजलि: छि-छि नाम नही लेते, ठीक है मैं खुद निकाल लेती हूँ, कहते हुए वो भूखी
शेरनी की तरह शमशेर पर टूट पड़ी
शमशेर तो जैसे इसी मौके के इंतज़ार मैं था उसने अंजलि को जैसे लपक लिया नीचे
सीट पर गिरा लिया और उसे कपड़ों के उपर से ही चूमने लगा अंजलि बदहवास हो चुकी
थी उसने शमशेर का चेहरा अपने हाथों में लिया और उसके होंठों को अपने होठों
में दबा लिया शमशेर के हाथ उसकी चूंचियों पर कहर ढा रहे थे एक-एक करके वह
दोनो चूंचियों को बुरी तरह मसल रहे थे अंजलि अब उसकी छाति सहलाते हुए
बड़बड़ाने लगी थी..ओह लव मि प्लीज़.. लव मि... आइ कांट वेट.. आइ कांट लिव..
विदाउट यू जान..
सुनसान सड़क पर खड़ी बस में तूफान आया हुआ था एक-एक करके जब शमशेर ने अंजलि
का हर कपड़ा उसके शरीर से अलग कर दिया तो वो देखता ही रह गया स्वर्ग से उतरी
मेनका जैसा जिस्म.. Bus uske bAAd ki story toh aap jante he hai wahi chudai aur fir maine uska school join kar liya aur hum dono bahut khush the fir hum dono ne baad mai shadi kar li.