मैं 24 साल की औरत हूँ, चार महीने की शादीशुदा हूँ, चूत बहुत प्यासी है क्यूंकि शादी
से पहले कई लंड थे, अब सिर्फ एक है। शुरू से ही मैं एक चालू लड़की के तौर से
जानी जाती थी। अट्ठारह साल की उम्र में पहला लंड मेरी चूत में उतरा था।
मेरे चाचा के बेटे की शादी थी, पंजाब में शादी कई दिन पहले से शुरु हो जाती
है। सर्दियों के दिन थे। उसके काफी दोस्त आये हुए थे, जिनके लिए भाई ने अलग
इंतजाम किया था। वहीं दारु, खाना-पीना सब कुछ !मैंने जवानी में नया-नया पैर
रखा था, मेरा दाना कूदने लगा था। ऊपर से मेरी कंपनी भी अच्छी नहीं थी। अपने
से बड़ी लड़कियों से मेरी दोस्ती थी जिनके दो दो बॉयफ्रेंड थे और चुदवाती भी
थीं। वो भी रोज़ शाम को हमारे घर ही आ जाती थी। भाई के कई दोस्त हम तीनों पर
लाइन मारते थे।
एक पिंटू नाम के लड़के ने मुझे प्रपोज़ कर दिया। मैंने कोई जवाब नहीं दिया,
बस मुस्कुरा दी। वो समझ गया !
ऐसे ही वो दोनों सहेलियाँ तो महान थीं, जहाँ दोस्त ठहरे हुए थे, वहीं पहुँच
गईं। पता नहीं कितनों से चुदवाया होगा।
शगुन की रात से एक रात पहले सभी नाच रहे थे, लड़के अलग, लड़कियाँ अलग !
नाचते-नाचते बहुत थक गई, पसीने से कुर्ती भीग गई। पिंटू की नज़र मेरे मम्मों
पे थी, उसका ध्यान मुझ पर ही था। मैं पानी पीने के लिए नीचे गई, पिंटू मेरे
पीछे आ गया। सभी ऊपर थे, उसने मेरी बांह पकड़ ली और मुझे अपने सीने से लगा
लिया। मैं पहली बार किसी लड़के के इतना करीब आई थी। मुझे कुछ कुछ होने लगा,
शर्म से मुखड़ा लाल हो गया। उसने मेरे गुलाबी होंठों को चूम लिया, एक हाथ
मेरी कुर्ती में डाल मेरे मम्मे दबा दिए।छोड़ो ! कोई आ जाएगा !
उसने थोड़ी पी रखी थी, बोला- चलो, दूसरे घर चलतें हैं। सभी मस्त हैं ऊपर !
किसी को ध्यान नहीं है !
प्लीज़ छोड़ो !
उसने मुझे उठाया और स्टोर रूम में ले गया, कुण्डी लगा दी और पास में पड़ी
रजाई पर डाल मुझ पर सवार हो गया। मेरी कुर्ती उतार दी, लाचा खोल दिया, मेरे
मम्मे चूसने लगा। मैं पहली बार किसी लड़के के नीचे नंगी हुई थी।
उसने अपना लंड निकाला और मेरे हाथ में दे दिया- सहलाओ इसको !
प्लीज़ छोड़ दो ! यह गलत है !
कुछ गलत नहीं है !
बाहर अचानक कोई चीज़ गिरी तो हम अलग हुए। मैंने कुर्ती डाली, लाचा बांधा।
उसने मुझे कसम दे दी कि उस घर में जा रहा हूँ, वहाँ कोई नहीं है, तुझे आना
होगा !
पहले वो धीरे से निकला, फिर मैं !
मैंने ऊपर जाकर सब अपनी सहेलियों को बताया। उन्होंने मुझे कहा- तुझे जाना
चाहिए! वो नाराज़ हो जाएगा! हम यहाँ देख लेंगी, कोई बात हुई तो संभाल लेंगी।
मैं चुपके से उस घर चली गई जहाँ भाई ने सिर्फ दोस्तों के रुकने का इंतजाम
किया हुआ था। जाते ही उसने मुझे बाँहों में कस लिया, बिस्तर पर उसने मुझे
नंगी कर दिया। सिर्फ पैंटी रह गई।
उसने एक-दो पेग और लगा लिए थे। उसने मेरे निपल चूसने शुरु किये, वो मेरे
विकसित हो रहे अनारों का रस पीने लगा। उसने अपना लंड निकाल कर मुझे पकड़ा
दिया, मेरा सर पकड़ अपने लंड की ओर दबाया और अपने लंड को मेरे मुँह में डाल
दिया।
मैं थोड़ा हैरान हुई !
उसने कहा- सेक्स में यह सब करना पड़ता है ! तेरा पति भी करवाया करेगा !
मुझे उसका चूसना अच्छा लगने लगा। उसने 69 में लाकर मेरी चूत पर होंठ रख दिए
और मैं पागल हो गई। मैं जोर जोर से उसके लंड को चूसने लगी। मेरा दिमाग घूम
गया। उसकी जुबान मेरी चूत में हरक़त करती तो मैं पगला जाती !
उसने मेरी दोनों टाँगे चौड़ी करवा ली और अपना लंड मेरी चूत पर टिकाते हुए
रगड़ा तो मस्ती से मेरी आंखें बंद हो गई। लेकिन जैसे ही उसने झटका मारा, मानो
मेरे गले में हड्डी फंस गई हो !
न चीख पा रही थी। क्यूंकि दोनों होंठ उसने अपने होंठों में ले रखे थे। आँखों
से आंसू निकल आये लेकिन बेदर्दी ने अपना लंड जड़ तक पहुँचा कर छोड़ा ! खून से
सफ़ेद चादर पर दाग पड़ चुके थे। जब उसके लंड ने घिसना छुरु किया तब जाकर मुझे
राहत मिली। फिर तो मानो मुझे स्वर्ग दिखने लगा। जब उसको लगा कि मैं सेट हो
चुकी हूँ तो उसने मुझे ढीला छोड़ दिया।
मैंने उसकी पीठ पर नाख़ून गाड़ दिए और और गाण्ड उठा-उठा कर चुदवाने लगी। उसने
भी पूरे दम से मुझे चोदा।
जैसे ही मेरा पानी निकला, उसके लंड ने भी अपना पानी छोड़ दिया और दो रसों का
मिलन हो गया। उसने अपना लण्ड मेरी चूत में से निकाल मेरे मुँह में घुसा दिया।
मैंने उसे चाट कर साफ़ किया और वो फ़िर मेरे अंगों से खेलने लगा। उसने पास
पड़ी बोतल से पेग बनायाम आधा मुझे पिला दिया। इतना ही काफी था मुझे घुमाने के
लिए !
मैं भी उसके लंड से खेलने लगी, लण्ड दोबारा खड़ा होने लगा तो मैंने चूस कर
उसको पूरा खड़ा कर दिया। उसने मुझे अपने लंड पर बैठने को कहा तो मैंने हाथ
नीचे ले जाकर ठिकाने पर सेट किया और उसको अपने अन्दर ले लिया। थोड़ी तकलीफ के
बाद पूरा घुस गया। रात के तीन बज़े तक उधर संगीत चला, इधर चुदाई !
इतने में उसने मुझे तीन बार चोदा, पहली चुदाई में ही तीन बार चुदी।
से पहले कई लंड थे, अब सिर्फ एक है। शुरू से ही मैं एक चालू लड़की के तौर से
जानी जाती थी। अट्ठारह साल की उम्र में पहला लंड मेरी चूत में उतरा था।
मेरे चाचा के बेटे की शादी थी, पंजाब में शादी कई दिन पहले से शुरु हो जाती
है। सर्दियों के दिन थे। उसके काफी दोस्त आये हुए थे, जिनके लिए भाई ने अलग
इंतजाम किया था। वहीं दारु, खाना-पीना सब कुछ !मैंने जवानी में नया-नया पैर
रखा था, मेरा दाना कूदने लगा था। ऊपर से मेरी कंपनी भी अच्छी नहीं थी। अपने
से बड़ी लड़कियों से मेरी दोस्ती थी जिनके दो दो बॉयफ्रेंड थे और चुदवाती भी
थीं। वो भी रोज़ शाम को हमारे घर ही आ जाती थी। भाई के कई दोस्त हम तीनों पर
लाइन मारते थे।
एक पिंटू नाम के लड़के ने मुझे प्रपोज़ कर दिया। मैंने कोई जवाब नहीं दिया,
बस मुस्कुरा दी। वो समझ गया !
ऐसे ही वो दोनों सहेलियाँ तो महान थीं, जहाँ दोस्त ठहरे हुए थे, वहीं पहुँच
गईं। पता नहीं कितनों से चुदवाया होगा।
शगुन की रात से एक रात पहले सभी नाच रहे थे, लड़के अलग, लड़कियाँ अलग !
नाचते-नाचते बहुत थक गई, पसीने से कुर्ती भीग गई। पिंटू की नज़र मेरे मम्मों
पे थी, उसका ध्यान मुझ पर ही था। मैं पानी पीने के लिए नीचे गई, पिंटू मेरे
पीछे आ गया। सभी ऊपर थे, उसने मेरी बांह पकड़ ली और मुझे अपने सीने से लगा
लिया। मैं पहली बार किसी लड़के के इतना करीब आई थी। मुझे कुछ कुछ होने लगा,
शर्म से मुखड़ा लाल हो गया। उसने मेरे गुलाबी होंठों को चूम लिया, एक हाथ
मेरी कुर्ती में डाल मेरे मम्मे दबा दिए।छोड़ो ! कोई आ जाएगा !
उसने थोड़ी पी रखी थी, बोला- चलो, दूसरे घर चलतें हैं। सभी मस्त हैं ऊपर !
किसी को ध्यान नहीं है !
प्लीज़ छोड़ो !
उसने मुझे उठाया और स्टोर रूम में ले गया, कुण्डी लगा दी और पास में पड़ी
रजाई पर डाल मुझ पर सवार हो गया। मेरी कुर्ती उतार दी, लाचा खोल दिया, मेरे
मम्मे चूसने लगा। मैं पहली बार किसी लड़के के नीचे नंगी हुई थी।
उसने अपना लंड निकाला और मेरे हाथ में दे दिया- सहलाओ इसको !
प्लीज़ छोड़ दो ! यह गलत है !
कुछ गलत नहीं है !
बाहर अचानक कोई चीज़ गिरी तो हम अलग हुए। मैंने कुर्ती डाली, लाचा बांधा।
उसने मुझे कसम दे दी कि उस घर में जा रहा हूँ, वहाँ कोई नहीं है, तुझे आना
होगा !
पहले वो धीरे से निकला, फिर मैं !
मैंने ऊपर जाकर सब अपनी सहेलियों को बताया। उन्होंने मुझे कहा- तुझे जाना
चाहिए! वो नाराज़ हो जाएगा! हम यहाँ देख लेंगी, कोई बात हुई तो संभाल लेंगी।
मैं चुपके से उस घर चली गई जहाँ भाई ने सिर्फ दोस्तों के रुकने का इंतजाम
किया हुआ था। जाते ही उसने मुझे बाँहों में कस लिया, बिस्तर पर उसने मुझे
नंगी कर दिया। सिर्फ पैंटी रह गई।
उसने एक-दो पेग और लगा लिए थे। उसने मेरे निपल चूसने शुरु किये, वो मेरे
विकसित हो रहे अनारों का रस पीने लगा। उसने अपना लंड निकाल कर मुझे पकड़ा
दिया, मेरा सर पकड़ अपने लंड की ओर दबाया और अपने लंड को मेरे मुँह में डाल
दिया।
मैं थोड़ा हैरान हुई !
उसने कहा- सेक्स में यह सब करना पड़ता है ! तेरा पति भी करवाया करेगा !
मुझे उसका चूसना अच्छा लगने लगा। उसने 69 में लाकर मेरी चूत पर होंठ रख दिए
और मैं पागल हो गई। मैं जोर जोर से उसके लंड को चूसने लगी। मेरा दिमाग घूम
गया। उसकी जुबान मेरी चूत में हरक़त करती तो मैं पगला जाती !
उसने मेरी दोनों टाँगे चौड़ी करवा ली और अपना लंड मेरी चूत पर टिकाते हुए
रगड़ा तो मस्ती से मेरी आंखें बंद हो गई। लेकिन जैसे ही उसने झटका मारा, मानो
मेरे गले में हड्डी फंस गई हो !
न चीख पा रही थी। क्यूंकि दोनों होंठ उसने अपने होंठों में ले रखे थे। आँखों
से आंसू निकल आये लेकिन बेदर्दी ने अपना लंड जड़ तक पहुँचा कर छोड़ा ! खून से
सफ़ेद चादर पर दाग पड़ चुके थे। जब उसके लंड ने घिसना छुरु किया तब जाकर मुझे
राहत मिली। फिर तो मानो मुझे स्वर्ग दिखने लगा। जब उसको लगा कि मैं सेट हो
चुकी हूँ तो उसने मुझे ढीला छोड़ दिया।
मैंने उसकी पीठ पर नाख़ून गाड़ दिए और और गाण्ड उठा-उठा कर चुदवाने लगी। उसने
भी पूरे दम से मुझे चोदा।
जैसे ही मेरा पानी निकला, उसके लंड ने भी अपना पानी छोड़ दिया और दो रसों का
मिलन हो गया। उसने अपना लण्ड मेरी चूत में से निकाल मेरे मुँह में घुसा दिया।
मैंने उसे चाट कर साफ़ किया और वो फ़िर मेरे अंगों से खेलने लगा। उसने पास
पड़ी बोतल से पेग बनायाम आधा मुझे पिला दिया। इतना ही काफी था मुझे घुमाने के
लिए !
मैं भी उसके लंड से खेलने लगी, लण्ड दोबारा खड़ा होने लगा तो मैंने चूस कर
उसको पूरा खड़ा कर दिया। उसने मुझे अपने लंड पर बैठने को कहा तो मैंने हाथ
नीचे ले जाकर ठिकाने पर सेट किया और उसको अपने अन्दर ले लिया। थोड़ी तकलीफ के
बाद पूरा घुस गया। रात के तीन बज़े तक उधर संगीत चला, इधर चुदाई !
इतने में उसने मुझे तीन बार चोदा, पहली चुदाई में ही तीन बार चुदी।