लाला किशाराम की एक छोटीसी राशन की दुकान थी.वह
एक ४० साल का हट्ताकत्ता आदमी था और बड़ा रंगीन्मिजाज़ था.उसका
मस्ताना लंड हमेशा ठिठोरे मारता था.लेकिन उसकी बदकिस्मती यह थी की
उसकी बीवी चंपा एक मोंटी और ठंडी औरत थी.लाला को रंडीयों
के पास जाना अचछा नही लगता था और मूठ मारने भी
उसे पसंद नही हींदी कहानीयां था.ईसलिए उसने अपने लंड की प्यास बुझाने का एक अलग ही तरीका निकल
लिया था.वह नौकारानियों को चोदकर अपना काम चला लेता था.अभीतक
उसने कई नौकरानियों को चोदा था.उसमे नौजवान लड़कियों से लेकर अधेड़
उम्र की औरतें भी शमिल थी.उसकी बीवी के गुस्सैल स्वाभाव के करण
कोई भी नौकरानी ज्यादा दीन नही टिकती थी और लाला को नाई नाई चूत
का मजा मिलाता था.काली कलूटी ही सही लेकीन काम तो चल जाता था.
पिचले दास दिनों से घर्पर कोई नौकरानी काम पर नही थी
इसलिए लाला बड़ा बेचैन था.उसका लंड बाहोठी तड़प रह था.चंपा तो उस
से चुंचियां मसल्वाकर और छूत चट्वाकर झर जाती थी.उसको
चुदाई मे कोई रस नही था और उसकी तोम्द बड़ी होने के करण चुदाई ढंग
से हो भी नही पाती थी
.उसे पता था की लाला नौकारानियों को चोदता
हैं लेकिन उसे कोई एतराज नही था क्योंकी लाला उस की चूत चाटकर उसे
खुश कर देता था.पिचले दास दिनों मे उस ने २-३ बार बड़ी मुश्किल से
ही सही जैसे तैसे चंपा को चोदकर अपनी तड़प कुछ कम करने की
कोशिश जरूर की थी लेकिन उल्टे उसकी प्यास और बढ गयी थी.उसकी दुकान मे
कई लडकियां और औरतें राशन लेने आती थी.वह उनकी सूरतें
देखकर और कपडों के उपर से ही उनके शारीर का नाप तौल करके और सामान
और रुपयों के लें दें के समय उनको स्पर्श करके अपना दील बहला लेता
था.लेकिन आजतक आईएस से आगे बढ़ाने की उसकी हिम्मत नही हुई थी.
ना जाने नै नौकरानी कब मिलेगी आईएस सोच मे डूबा वह दुकान मे
बैठा था तभी एक बुद्धू सा दिखने वाला मरियल नौजवान उस के पास
आया और उसने पुछा की क्या आपही लाला किशन राम हैं तो लाला ने
हाँ भर दी.फिर उसने बताया की उसका नाम बुद्धुराम हैं और वह लाला
के गों से ही आया है.उसकी माँ लाला को जानती थी और उसने नौकरी
के लिए उसे लाला के पास भेजा था.उसे देखकर लाला को उसे नौकरी पर
रखने कोई इच्छा नही थी.लेकीन जब बातों ही बातों मे उसने बताया की
उसकी बीवी भी उसके साथ यहाँ आयी हैं और वह भी घर का काम कर
लेगी तो लाला की आँखें चमक उठी.उसने तुरंत हाँ भर दी और उसे
तुरंत बीवी को लेकर आने ए लिए कहा.बुद्धेराम उल्टे पांव लौटकर
अपनी बीवी को ले आया,जिसे उसने बस्स स्टैंड पर छोड़ा था.उसका नाम उसने
बेला बताया था.
जब बुद्दुराम लौटा तो उस के पीछे पीछे एक पुराणी सी मैली
घगारा चोली पहनी औरत ठुमकती चाल से आ रही थी.उसका बदन बहोत
कसा कसा था.उमर भी २०-२२ से ज्यादा नही लगती थी.उसे देखकर लाला
अपनी जगह पर उठ खड़ा हुआ.उसके मुँह से लार टपकने लगी.उस औरत की
रंगर साम्वाली थी.उसने अपने हाथों मे कुहनियों तक चुदियाँ पेहें
रखी थी और पावों मे बड़ी पैन्जनिया थी जो चलते समय छान
छान बजती थी.चोली और घग्रा बदन पर जैसे कसा हुआ था इसलिए उसके
अगले और पिचले उभारों का आकार तुरंत नजरों मे आ रह था.उसकी
काले रेशमी बालों वाली लंबी चोटी उसके चुतादों पर लहरा रही
थी.लाला उसकी सूरत नही देख पाय था क्यूंकि उसने सर पर घूँघट लिया
हुआ था.लाला को पहली नजर मे ही वह औरत भा गयी थी और वह उसकी
सूरत देखने को बेताब था.बुद्धुराम ने जैसे लाला के मन की बात
भांप ली थी.उस ने बेला से कहा,``अरी शर्म मत.लालाजी मेरे तौ जैसे
ही हैं.यूएन से क्या पर्दा? चल घुम्घत खोल और पाय लाग इन के.हमे
काम पर रखकर बड़ा अहसान किया हैं इन्होने हम पर."
अपने मरद की आज्ञा मानकर बेलने झिझकते हुए घुम्गत खोला
तो लाला का मुँह खुला ही रह गया.हाआआआआय् क्या मतवाली सुअर्ट थी
उसकी ! बड़ी बड़ी काली नशीली आँखें,तीखा नाक,उभरे गाल,सुर्ख
होंठ,लंबी गर्दन,बड़ी बड़ी चुंचियां,कासी कासी क़मर,भरी भरी
जाम्घें सब कुछ बड़ा मस्त था.ऐसी गजब की औरत लाला ने आजतक नही
देखी थी.उस के चेहेर पर एक एस*क्ष्य् सी मुस्कान थी और वह बिना लाज के अब
लाला को घुर रही थी.उस की इस अदा से लाला का रागीला दील पानी पानी
हो रह था.उस ने कनखियों से बुद्द्धुराम को देखा था लेकीन वह तो
इन बातों से जैसे बेखबर सा खड़ा था.लाला का हौसला बढ गया और
वह भी सीधे बेला को घूरने लगा.उसकी वासना मे डूबी नजर बेला के
एक एक अम्ग का जायजा लेने लगी.लाला तो पुराना खिलाडी था,उस ने तुरंत
भांप लिया की बेला खेली खायी औरत हैं और आसानी से उसके चंगुल
मे फँस सकती हैं.यह जानकार वह बड़ा खुश हुआ और मुस्कुराते हुए
बेला को घूरने लगा.बेला भी उसकी नजर भांप गयी थी और जवाब
मे वह भी मुस्कुरा दी.दोनो हरामियों ने एक दुसरे को पहचान लिया
था.
लाला को एक बात का बड़ा अचरज लग रह था की बेला जैसी
मस्तानी औरत बुद्धुराम के पल्ले कैसे पट गयी ! उस ने तुरंत उन् को दोनो
को घर ले गया और चंपा से उनका परिचय करवाया.फिर बेला को घर
पर छोड़कर वह बुद्धुराम के साथ दुकान लॉट आया.बुद्धुराम नाम की
तरह की भोला भला था.लाला ने कुछ ही देर मे उस से सब कुछ सच
उगलवा लिया.बुद्धुराम सिर्फ नाम का ही मर्द था.उसको मर्द और औरत के
संबंधों के बारे मे ज्यादा जानकारी ना थी और कोई खास लगाव भी
नही था.बेला जैसी औरत को खुश करना उसके बस की बात नही थी.वह तो
दुसरे कई मर्दों के साथ मजा लेकर अपना काम चलती थी.उसके
चाहनेवालों से तंग आकर्ही बुद्धुराम की माँ ने उसे गों छोड़ने की सलाह
दी थी.
वैसे बेला इस खेल की पुराणी खिलाडी थी.वह जब जवान हुई थी
यानी १३ की उमर से ही चुद्वा रही थी.वह अपने माँ के साथ लोगों के
गह्रों मे और खेतों मे काम पर जाती थी.माँ तो सीधी सदी थी लेकीन
बेला की चूत तो जवानी मे कदम रखते ही खुजलाने लगी थी.उसका बाप
बचपन मे ही मर गया था और उसको द्दंत्नेवाला कोई नही था.माँ की तो
उसके आगे एक ना चलती थी.वैसे उसे अपने चाहनेवालों से अच्छे रुपये
भी मिल जाते और घर का खर्च आसानी से चल रह था इसलिए माँ भी
जानकार अनजान बन रही थी.बेला खुदी बड़ी चुदाक्काद किस्म की लडकी
थी और मर्दों को पटना खूब जानती थी फिर मर्द तो ऐसी चुदाक्काद की
तलाश मे ही होते हैं.गों मे तो क्या बहार से भी लोग बेला को छोड़ने
आते थे.लेकीन इस वजह से उसकी बहोत बदनामी हो चुकी थी और उसकी
शादी हों लाघ्बघ असंभव था.इसलिए तंग आकर उसकी माँ ने उसे
बुद्धुराम जैसे अनाडी के पल्ले बंध दिया.बुद्धुराम की माँ के पास भी कोई
चारा नही था.उसकी शादी वह बेला से ना करवाती तो वह बेचारा कंवारा
ही
रह जाता.
बेला को सुहागरात मे ही पता चल गया था की उसका पति सुके काम
का नही था.उसकी लाख कोशिशों के बावजूद उसका पिदिसा लंड खड़ा नही
हो पाय था.हाथों से मसल कर जब उसके हाथ दुखने लगे तो उसने
लंड को मुँह लेकर खड़ा करने की कोशिश भी की थी लेकीन वह तुरंत झाड़
गया.बुद्धुराम शर्मिंदा होकर सोगया लेकीन बेला रातभर चूत मे
उंगली करते हुए सो नही पायी.पहले तो उसे बहोत गुस्सा आया लेकीन
जब उसने ठंडे दिमाग से सोचा.उसके लिए यह कोई परेशानिवाली बात नही
थी.उस के कई चोदु अपना लंड हाथ मे लेकर तैयार ही बैठे थे.तो
शादी के बाद भी उसका ग़ैर मर्दों से चुद्वाना बीए-दस्तूर जारी
रह.उसे चाहनेवालों से नए कपडे और रुपये भी मिल जाते थे.बुद्धुराम को
तो बेला से कोई शिक़ायत नही थी लेकीन उसकी माँ तंग आ चुकी
थी.पिचले दो महिनोस से बेला की सास ने हंगामा खड़ा कर दिया था इसलिए बेला
को मजबूरी से खुद को रोकना पड़ा था.फिर भी कभी कभार मौका मिलते
ही वह किसी ना किसी से चुद्वा लेटी थी.
लेकीन आफत तो तब आयी थी जब उसने गों के महाजन के कम उमर
लड़के को अपने जाल मे फंसा लिया था.पता चलने के बाद महाजन ने
उसकी सास को फटकार लगायी थी तब मजबूर होकर उसने बुद्धुराम से
गों छोड़ने की सलाह दी थी.चुदाक्काद बेला की चूत मे जैसे अंगार सी लगी थी.रोज दो बार चुद्वानेवाली औरत को कभी कभार चुद्वाकर कैसे रह जाता ? उपर से तिन दीन सफ़र के करण प्यास और भड़की थी.उपर से ट्रेन मे एक बुधे ने रात मे उसकी चूत मे उंगली करके उसकी आग मे मानो घी दाल दिया था.इसलिए जब उसने लाला के आंखों मे वासना के डोरे देखे थे तो वह सिहर उठी थी.वह जान गयी थी की लाला उसपर फीदा हो चुका हैं और आसानी से जाल मे फँस सकता हैं.लेकीन लाला जैसा सेठ आदमी उसके काम का है या नही इस बारे मे उसे शक ही था,क्योंकी सेठ लोगों के बारे मे उसका अनुभव अचछा नही था.
उसने सुना था की यह सेठ लोग अपनी बीवियों को ही चोद नही सकते इसलिए उनकी बीवियां नौकरों से या गैर्मर्दों से चुद्वाती हैं.उसका खुद का पाला भी एक बार ऐसे सेठ से पड़ा था जिसने उसके साथ चुमचाती की थी और उसकी चुंचियां मसली थी.बाद मे चूत पर लंड रगड़ते ही वह बहार ही झर गया था.बुद्धुराम के साथ भी ऐसा एक हादसा हुआ था.वह एक सेठ यहाँ काम पर लगा था.वह सेठ के घर का काम देखता था और सेठ और सेठानी के हाथ पाँव भी दबाता था.सब नौकर बुद्धुराम की हंसी उड़ते थे.उसे कुछ समझ नही आता था.एक दीन सेठ ने उसे घर बुलाया था.उसने देखा तो सेठ बैठा शराब पी रह था और सेठानी सामने पलंग पर नंगी लेटी थी.सेठ उसे कहा की तुम अगर मेरी गांड मारोगे तो बदले मे मैं तुम्हे मेरी बीवी को छोड़ने दूंगा. उस सेठ को पता नही था की बुद्धुराम इस काम के लायक नही था.बुद्धुराम तो डरकर उल्टे पांव भाग खड़ा हुआ.बाद मे उसे पता चला की सेठ कई नौकरों से यह काम करवा चुका हैं.
इसलिए बेला को शक था की कहीं लाला भी ऐसा ना हो.लाला उसके काम का हुआ तो अचछा ही था क्यूँकी यहाँ रहने को मकान,अचछा खाना और कपडे मिल सकते थे.और लाला से काम बन गया तो किसी और को धून्दाने की जरूरत नही थी.उस मे नौकरी जाने का दर भी था.लेकीन जबतक वह लाला से चुद्वा नही लेटी तब तक उसे पता नही चल सकता था.उसने आजही इस बात का फैसला करने की ठान ली.घर का काम अच्छी तरह करके और चंपा की अच्छी मालिश करके उसने मालकिन का दील जीत लिया.चंपा ने खुश होकर उसे अपना एक पुराना घग्रा और चोली दे दी.उसे रहने के लिए बहर्वाला कमरा दे दिया.जब सेठ और बुद्धुराम घर लौटे तो उसने बुद्धुराम से रात मे छत पर सोने का हुक्म दिया और खुद सेठ को खाना परोसने लगी.मर्द को तद्पताद्पकर फाँसने वह माहिर थी.उसने लाला को भी उसी नुस्खे से फंसने की सोच ली.
खाना परोसते समय उसने पालू इस तरह लपेट लिया की उसकी सूरत तो क्या शारीर का कोई भी हिस्सा ना दिख सके.लाला तो दीन भर बेला की सोच मे पागल बना हुआ था.उसका मचलता जोबन देखकर वो खुद काबू नही रख पा रह था.उसने आज रात ही बेला को छोड़ने का मन बना लिया था.उसकी ठोस नंगी चुंचियां,भरी भरी गांड और मचलती चूत देखने को वह बेताब था.लेकीन यहाँ तो बेला की सूरत तक देखने को वह तरस गया था.दोपेहेर मे चुदास से भरी लग रही यह औरत अचानक इतनी शरीफ कैसे बन गयी.या तो इसे चंपा ने सब बताकर संभालकर रहने को कहा होगा या फिर वह नखरा दिखा रही थी.शायद इसे मुझसे रुपये एन्थाने होंगे ऐसा भी विचार उसके मन आया.जो भी हो आज रात इसकी चूत मारनी ही मारनी हैं यही सोचते सोचते उसने खाना खा लिया.जब वह बहार आया तो उसे बुधुराम तकिया और चद्दर लेकर छत की ओर जाता दिखाई दिया.लाला ने उसे टोका तो उसने बता दिया की बेला ने ही उसे छत पर सोने के लिए कहा है.यह सुनकर लाला ख़ुशी से झूम उठा.बेला की चालाकी पर वह बड़ा खुश हुआ.जरूर उसने मुझसे चुदवाने के चक्कर मे ही बुद्धुराम को छत पर भेज दिया हैं इस ख़ुशी मे झुमते हुए वह अपने कमरे मे चंपा के पास पहुँचा.
उसने फौरन चंपा को नंगा करके उसकी चुंचियां खूब मसली और ऐसी चूत छाती की चंपा को पहली बार इतना मजा आया.वह झर कर खर्रतें भरने लगी.लाला चुपचाप उठा और दरवाजा धीएरे से बंद करके बेला के कमरे के पास पहुंच गया.दरवाजा थोदासा खुला देखकर वह ख़ुशी से झूमता हुआ धीएमे कदमो से अन्दर दाखिल हुआ और दरवाजा अन्दर से बंद कर लिया.जब उसकी नजर छापी पर लेटी बेला पर पडी तो वह ठगा सा उसे देखता ही रह गया.रोशनदान से चांद की हल्किसी रौशनी अन्दर आ रही थी और और उस रोशनी मे लेटी बेला गजब की सुन्दर दिख रही थी.वह आंखों पर हाथ रखकर ऐसे लेटी थी मानो उसे नींद लग गयी थी.उसका पालो खिसक गया था और उसके ठोस उभर साँसों के साथ उपर नीचे हो रहे थे.सांवले कसे पेट का कुछ हिस्सा नजर आ रह था.उसका घगारा उपर सरक गया था और घुटनों तक तांगे नंगी थी.बिना बालों की कासी कासी मांसल पिन्धलियाँ गजब की एस*क्ष्य् दिख रही थी.उसके सूरः होंठ थोदेसे खुले हुए थे और मानो लाला को उन्हें चूमने का न्योता दे रहे थे.
एक ४० साल का हट्ताकत्ता आदमी था और बड़ा रंगीन्मिजाज़ था.उसका
मस्ताना लंड हमेशा ठिठोरे मारता था.लेकिन उसकी बदकिस्मती यह थी की
उसकी बीवी चंपा एक मोंटी और ठंडी औरत थी.लाला को रंडीयों
के पास जाना अचछा नही लगता था और मूठ मारने भी
उसे पसंद नही हींदी कहानीयां था.ईसलिए उसने अपने लंड की प्यास बुझाने का एक अलग ही तरीका निकल
लिया था.वह नौकारानियों को चोदकर अपना काम चला लेता था.अभीतक
उसने कई नौकरानियों को चोदा था.उसमे नौजवान लड़कियों से लेकर अधेड़
उम्र की औरतें भी शमिल थी.उसकी बीवी के गुस्सैल स्वाभाव के करण
कोई भी नौकरानी ज्यादा दीन नही टिकती थी और लाला को नाई नाई चूत
का मजा मिलाता था.काली कलूटी ही सही लेकीन काम तो चल जाता था.
पिचले दास दिनों से घर्पर कोई नौकरानी काम पर नही थी
इसलिए लाला बड़ा बेचैन था.उसका लंड बाहोठी तड़प रह था.चंपा तो उस
से चुंचियां मसल्वाकर और छूत चट्वाकर झर जाती थी.उसको
चुदाई मे कोई रस नही था और उसकी तोम्द बड़ी होने के करण चुदाई ढंग
से हो भी नही पाती थी
.उसे पता था की लाला नौकारानियों को चोदता
हैं लेकिन उसे कोई एतराज नही था क्योंकी लाला उस की चूत चाटकर उसे
खुश कर देता था.पिचले दास दिनों मे उस ने २-३ बार बड़ी मुश्किल से
ही सही जैसे तैसे चंपा को चोदकर अपनी तड़प कुछ कम करने की
कोशिश जरूर की थी लेकिन उल्टे उसकी प्यास और बढ गयी थी.उसकी दुकान मे
कई लडकियां और औरतें राशन लेने आती थी.वह उनकी सूरतें
देखकर और कपडों के उपर से ही उनके शारीर का नाप तौल करके और सामान
और रुपयों के लें दें के समय उनको स्पर्श करके अपना दील बहला लेता
था.लेकिन आजतक आईएस से आगे बढ़ाने की उसकी हिम्मत नही हुई थी.
ना जाने नै नौकरानी कब मिलेगी आईएस सोच मे डूबा वह दुकान मे
बैठा था तभी एक बुद्धू सा दिखने वाला मरियल नौजवान उस के पास
आया और उसने पुछा की क्या आपही लाला किशन राम हैं तो लाला ने
हाँ भर दी.फिर उसने बताया की उसका नाम बुद्धुराम हैं और वह लाला
के गों से ही आया है.उसकी माँ लाला को जानती थी और उसने नौकरी
के लिए उसे लाला के पास भेजा था.उसे देखकर लाला को उसे नौकरी पर
रखने कोई इच्छा नही थी.लेकीन जब बातों ही बातों मे उसने बताया की
उसकी बीवी भी उसके साथ यहाँ आयी हैं और वह भी घर का काम कर
लेगी तो लाला की आँखें चमक उठी.उसने तुरंत हाँ भर दी और उसे
तुरंत बीवी को लेकर आने ए लिए कहा.बुद्धेराम उल्टे पांव लौटकर
अपनी बीवी को ले आया,जिसे उसने बस्स स्टैंड पर छोड़ा था.उसका नाम उसने
बेला बताया था.
जब बुद्दुराम लौटा तो उस के पीछे पीछे एक पुराणी सी मैली
घगारा चोली पहनी औरत ठुमकती चाल से आ रही थी.उसका बदन बहोत
कसा कसा था.उमर भी २०-२२ से ज्यादा नही लगती थी.उसे देखकर लाला
अपनी जगह पर उठ खड़ा हुआ.उसके मुँह से लार टपकने लगी.उस औरत की
रंगर साम्वाली थी.उसने अपने हाथों मे कुहनियों तक चुदियाँ पेहें
रखी थी और पावों मे बड़ी पैन्जनिया थी जो चलते समय छान
छान बजती थी.चोली और घग्रा बदन पर जैसे कसा हुआ था इसलिए उसके
अगले और पिचले उभारों का आकार तुरंत नजरों मे आ रह था.उसकी
काले रेशमी बालों वाली लंबी चोटी उसके चुतादों पर लहरा रही
थी.लाला उसकी सूरत नही देख पाय था क्यूंकि उसने सर पर घूँघट लिया
हुआ था.लाला को पहली नजर मे ही वह औरत भा गयी थी और वह उसकी
सूरत देखने को बेताब था.बुद्धुराम ने जैसे लाला के मन की बात
भांप ली थी.उस ने बेला से कहा,``अरी शर्म मत.लालाजी मेरे तौ जैसे
ही हैं.यूएन से क्या पर्दा? चल घुम्घत खोल और पाय लाग इन के.हमे
काम पर रखकर बड़ा अहसान किया हैं इन्होने हम पर."
अपने मरद की आज्ञा मानकर बेलने झिझकते हुए घुम्गत खोला
तो लाला का मुँह खुला ही रह गया.हाआआआआय् क्या मतवाली सुअर्ट थी
उसकी ! बड़ी बड़ी काली नशीली आँखें,तीखा नाक,उभरे गाल,सुर्ख
होंठ,लंबी गर्दन,बड़ी बड़ी चुंचियां,कासी कासी क़मर,भरी भरी
जाम्घें सब कुछ बड़ा मस्त था.ऐसी गजब की औरत लाला ने आजतक नही
देखी थी.उस के चेहेर पर एक एस*क्ष्य् सी मुस्कान थी और वह बिना लाज के अब
लाला को घुर रही थी.उस की इस अदा से लाला का रागीला दील पानी पानी
हो रह था.उस ने कनखियों से बुद्द्धुराम को देखा था लेकीन वह तो
इन बातों से जैसे बेखबर सा खड़ा था.लाला का हौसला बढ गया और
वह भी सीधे बेला को घूरने लगा.उसकी वासना मे डूबी नजर बेला के
एक एक अम्ग का जायजा लेने लगी.लाला तो पुराना खिलाडी था,उस ने तुरंत
भांप लिया की बेला खेली खायी औरत हैं और आसानी से उसके चंगुल
मे फँस सकती हैं.यह जानकार वह बड़ा खुश हुआ और मुस्कुराते हुए
बेला को घूरने लगा.बेला भी उसकी नजर भांप गयी थी और जवाब
मे वह भी मुस्कुरा दी.दोनो हरामियों ने एक दुसरे को पहचान लिया
था.
लाला को एक बात का बड़ा अचरज लग रह था की बेला जैसी
मस्तानी औरत बुद्धुराम के पल्ले कैसे पट गयी ! उस ने तुरंत उन् को दोनो
को घर ले गया और चंपा से उनका परिचय करवाया.फिर बेला को घर
पर छोड़कर वह बुद्धुराम के साथ दुकान लॉट आया.बुद्धुराम नाम की
तरह की भोला भला था.लाला ने कुछ ही देर मे उस से सब कुछ सच
उगलवा लिया.बुद्धुराम सिर्फ नाम का ही मर्द था.उसको मर्द और औरत के
संबंधों के बारे मे ज्यादा जानकारी ना थी और कोई खास लगाव भी
नही था.बेला जैसी औरत को खुश करना उसके बस की बात नही थी.वह तो
दुसरे कई मर्दों के साथ मजा लेकर अपना काम चलती थी.उसके
चाहनेवालों से तंग आकर्ही बुद्धुराम की माँ ने उसे गों छोड़ने की सलाह
दी थी.
वैसे बेला इस खेल की पुराणी खिलाडी थी.वह जब जवान हुई थी
यानी १३ की उमर से ही चुद्वा रही थी.वह अपने माँ के साथ लोगों के
गह्रों मे और खेतों मे काम पर जाती थी.माँ तो सीधी सदी थी लेकीन
बेला की चूत तो जवानी मे कदम रखते ही खुजलाने लगी थी.उसका बाप
बचपन मे ही मर गया था और उसको द्दंत्नेवाला कोई नही था.माँ की तो
उसके आगे एक ना चलती थी.वैसे उसे अपने चाहनेवालों से अच्छे रुपये
भी मिल जाते और घर का खर्च आसानी से चल रह था इसलिए माँ भी
जानकार अनजान बन रही थी.बेला खुदी बड़ी चुदाक्काद किस्म की लडकी
थी और मर्दों को पटना खूब जानती थी फिर मर्द तो ऐसी चुदाक्काद की
तलाश मे ही होते हैं.गों मे तो क्या बहार से भी लोग बेला को छोड़ने
आते थे.लेकीन इस वजह से उसकी बहोत बदनामी हो चुकी थी और उसकी
शादी हों लाघ्बघ असंभव था.इसलिए तंग आकर उसकी माँ ने उसे
बुद्धुराम जैसे अनाडी के पल्ले बंध दिया.बुद्धुराम की माँ के पास भी कोई
चारा नही था.उसकी शादी वह बेला से ना करवाती तो वह बेचारा कंवारा
ही
रह जाता.
बेला को सुहागरात मे ही पता चल गया था की उसका पति सुके काम
का नही था.उसकी लाख कोशिशों के बावजूद उसका पिदिसा लंड खड़ा नही
हो पाय था.हाथों से मसल कर जब उसके हाथ दुखने लगे तो उसने
लंड को मुँह लेकर खड़ा करने की कोशिश भी की थी लेकीन वह तुरंत झाड़
गया.बुद्धुराम शर्मिंदा होकर सोगया लेकीन बेला रातभर चूत मे
उंगली करते हुए सो नही पायी.पहले तो उसे बहोत गुस्सा आया लेकीन
जब उसने ठंडे दिमाग से सोचा.उसके लिए यह कोई परेशानिवाली बात नही
थी.उस के कई चोदु अपना लंड हाथ मे लेकर तैयार ही बैठे थे.तो
शादी के बाद भी उसका ग़ैर मर्दों से चुद्वाना बीए-दस्तूर जारी
रह.उसे चाहनेवालों से नए कपडे और रुपये भी मिल जाते थे.बुद्धुराम को
तो बेला से कोई शिक़ायत नही थी लेकीन उसकी माँ तंग आ चुकी
थी.पिचले दो महिनोस से बेला की सास ने हंगामा खड़ा कर दिया था इसलिए बेला
को मजबूरी से खुद को रोकना पड़ा था.फिर भी कभी कभार मौका मिलते
ही वह किसी ना किसी से चुद्वा लेटी थी.
लेकीन आफत तो तब आयी थी जब उसने गों के महाजन के कम उमर
लड़के को अपने जाल मे फंसा लिया था.पता चलने के बाद महाजन ने
उसकी सास को फटकार लगायी थी तब मजबूर होकर उसने बुद्धुराम से
गों छोड़ने की सलाह दी थी.चुदाक्काद बेला की चूत मे जैसे अंगार सी लगी थी.रोज दो बार चुद्वानेवाली औरत को कभी कभार चुद्वाकर कैसे रह जाता ? उपर से तिन दीन सफ़र के करण प्यास और भड़की थी.उपर से ट्रेन मे एक बुधे ने रात मे उसकी चूत मे उंगली करके उसकी आग मे मानो घी दाल दिया था.इसलिए जब उसने लाला के आंखों मे वासना के डोरे देखे थे तो वह सिहर उठी थी.वह जान गयी थी की लाला उसपर फीदा हो चुका हैं और आसानी से जाल मे फँस सकता हैं.लेकीन लाला जैसा सेठ आदमी उसके काम का है या नही इस बारे मे उसे शक ही था,क्योंकी सेठ लोगों के बारे मे उसका अनुभव अचछा नही था.
उसने सुना था की यह सेठ लोग अपनी बीवियों को ही चोद नही सकते इसलिए उनकी बीवियां नौकरों से या गैर्मर्दों से चुद्वाती हैं.उसका खुद का पाला भी एक बार ऐसे सेठ से पड़ा था जिसने उसके साथ चुमचाती की थी और उसकी चुंचियां मसली थी.बाद मे चूत पर लंड रगड़ते ही वह बहार ही झर गया था.बुद्धुराम के साथ भी ऐसा एक हादसा हुआ था.वह एक सेठ यहाँ काम पर लगा था.वह सेठ के घर का काम देखता था और सेठ और सेठानी के हाथ पाँव भी दबाता था.सब नौकर बुद्धुराम की हंसी उड़ते थे.उसे कुछ समझ नही आता था.एक दीन सेठ ने उसे घर बुलाया था.उसने देखा तो सेठ बैठा शराब पी रह था और सेठानी सामने पलंग पर नंगी लेटी थी.सेठ उसे कहा की तुम अगर मेरी गांड मारोगे तो बदले मे मैं तुम्हे मेरी बीवी को छोड़ने दूंगा. उस सेठ को पता नही था की बुद्धुराम इस काम के लायक नही था.बुद्धुराम तो डरकर उल्टे पांव भाग खड़ा हुआ.बाद मे उसे पता चला की सेठ कई नौकरों से यह काम करवा चुका हैं.
इसलिए बेला को शक था की कहीं लाला भी ऐसा ना हो.लाला उसके काम का हुआ तो अचछा ही था क्यूँकी यहाँ रहने को मकान,अचछा खाना और कपडे मिल सकते थे.और लाला से काम बन गया तो किसी और को धून्दाने की जरूरत नही थी.उस मे नौकरी जाने का दर भी था.लेकीन जबतक वह लाला से चुद्वा नही लेटी तब तक उसे पता नही चल सकता था.उसने आजही इस बात का फैसला करने की ठान ली.घर का काम अच्छी तरह करके और चंपा की अच्छी मालिश करके उसने मालकिन का दील जीत लिया.चंपा ने खुश होकर उसे अपना एक पुराना घग्रा और चोली दे दी.उसे रहने के लिए बहर्वाला कमरा दे दिया.जब सेठ और बुद्धुराम घर लौटे तो उसने बुद्धुराम से रात मे छत पर सोने का हुक्म दिया और खुद सेठ को खाना परोसने लगी.मर्द को तद्पताद्पकर फाँसने वह माहिर थी.उसने लाला को भी उसी नुस्खे से फंसने की सोच ली.
खाना परोसते समय उसने पालू इस तरह लपेट लिया की उसकी सूरत तो क्या शारीर का कोई भी हिस्सा ना दिख सके.लाला तो दीन भर बेला की सोच मे पागल बना हुआ था.उसका मचलता जोबन देखकर वो खुद काबू नही रख पा रह था.उसने आज रात ही बेला को छोड़ने का मन बना लिया था.उसकी ठोस नंगी चुंचियां,भरी भरी गांड और मचलती चूत देखने को वह बेताब था.लेकीन यहाँ तो बेला की सूरत तक देखने को वह तरस गया था.दोपेहेर मे चुदास से भरी लग रही यह औरत अचानक इतनी शरीफ कैसे बन गयी.या तो इसे चंपा ने सब बताकर संभालकर रहने को कहा होगा या फिर वह नखरा दिखा रही थी.शायद इसे मुझसे रुपये एन्थाने होंगे ऐसा भी विचार उसके मन आया.जो भी हो आज रात इसकी चूत मारनी ही मारनी हैं यही सोचते सोचते उसने खाना खा लिया.जब वह बहार आया तो उसे बुधुराम तकिया और चद्दर लेकर छत की ओर जाता दिखाई दिया.लाला ने उसे टोका तो उसने बता दिया की बेला ने ही उसे छत पर सोने के लिए कहा है.यह सुनकर लाला ख़ुशी से झूम उठा.बेला की चालाकी पर वह बड़ा खुश हुआ.जरूर उसने मुझसे चुदवाने के चक्कर मे ही बुद्धुराम को छत पर भेज दिया हैं इस ख़ुशी मे झुमते हुए वह अपने कमरे मे चंपा के पास पहुँचा.
उसने फौरन चंपा को नंगा करके उसकी चुंचियां खूब मसली और ऐसी चूत छाती की चंपा को पहली बार इतना मजा आया.वह झर कर खर्रतें भरने लगी.लाला चुपचाप उठा और दरवाजा धीएरे से बंद करके बेला के कमरे के पास पहुंच गया.दरवाजा थोदासा खुला देखकर वह ख़ुशी से झूमता हुआ धीएमे कदमो से अन्दर दाखिल हुआ और दरवाजा अन्दर से बंद कर लिया.जब उसकी नजर छापी पर लेटी बेला पर पडी तो वह ठगा सा उसे देखता ही रह गया.रोशनदान से चांद की हल्किसी रौशनी अन्दर आ रही थी और और उस रोशनी मे लेटी बेला गजब की सुन्दर दिख रही थी.वह आंखों पर हाथ रखकर ऐसे लेटी थी मानो उसे नींद लग गयी थी.उसका पालो खिसक गया था और उसके ठोस उभर साँसों के साथ उपर नीचे हो रहे थे.सांवले कसे पेट का कुछ हिस्सा नजर आ रह था.उसका घगारा उपर सरक गया था और घुटनों तक तांगे नंगी थी.बिना बालों की कासी कासी मांसल पिन्धलियाँ गजब की एस*क्ष्य् दिख रही थी.उसके सूरः होंठ थोदेसे खुले हुए थे और मानो लाला को उन्हें चूमने का न्योता दे रहे थे.