Saturday, May 24, 2025

चाची की प्यास chachi ne seduce kiya -1 (hindi sex story)

मेरी उम्र 30 वर्ष है पर यह कहानी 11 वर्ष पहले की है। यह मेरी पहली
कहानी है, लिखने में कोई भूल हो तो माफी चाहता हूँ।
मेरा नाम जय है और मैं सूरत में रहता हूँ। बचपन से ही मैं अपने दादा-दादी और
चाचा के साथ बैंगलोर में रहा और वहीं पढ़ाई की, वहाँ पर दादा की स्थाई नौकरी
थी और चाचा दुबई में नौकरी करते थे। चाचा की शादी को 8 साल हुए थे और उनकी 2
बेटियाँ थी। चाचा साल दो साल में एक बार आते और 1 महीना रहते थे।
जैसा कि मैंने आप को बताया कि चाचा दुबई में थे और साल दो साल में एक महीने
के लिये आते थे। तो आप समझ सकते हैं कि चाची कि हालत क्या होती होगी जब चाचा
वापस चले जाते होंगे। दादा -दादी साथ रहते थे इसलिए उन्हें कहीं बाहर जाने या
किसी से मिलने का भी कोई मौका नहीं था, बस कभी कभी कुछ काम हो तो मेरे साथ
जाती थी।
मेरी चाची के साथ अच्छी बनती थी, मैं काम में उनकी मदद भी कर दिया करता था।
और जब चाचा दुबई जाते तो मैं चाची के कमरे में सोता था, सब कुछ सामान्य था।
मैं चाची के साथ मस्ती भी बहुत करता था लेकिन कभी उन्हें वासना भरी नज़र से
नहीं देखा था।

समय बीतता गया और मैं भी जवानी में कदम रख रहा था और कुछ दोस्तो के साथ मिलकर
कभी कभी ब्ल्यू फिल्म देख लिया करता था और कुछ सेक्स की किताब भी पढ़ता था
छुप-छुप कर और कभी कभी मुठ भी मार लिया करता था।
जैसे जैसे मुझे सेक्स के बारे में पता चलता गया मेरी नज़र बदलती गई और मेरी
नीयत बदलती गई। अब मैं चाची के बारे में सोच-सोच कर मुठ मारने लगा और मन में
उन्हें चोदने की इच्छा जागी। हमारे घर में दो बेड रूम थे, एक में दादा-दादी
और चाची की एक बेटी सोते और दूसरे में मैं चाची और मेरी एक चचेरी बहन सोते
थे। (मैं एक बेड पर और चाची और बहन एक बिस्तर पर सोते। मैं दस साल का था तब
चाचा की शादी हुई थी और चाचा एक महीने के अंदर ही वापस चले गये थे, तब से मैं
चाची के कमरे में ही सोता हूँ)
जिस दिन मैंने कोइ ब्ल्यू फिल्म देखी हो उस रात मुझे नींद ही नहीं आती, पूरी
रात चाची को देखने में ही निकल जाती, कभी उनकी नाईटी ऊपर सरक आती और उनकी
गोरी जांघ दिखाई देती तो कभी उनके स्तनों की झलक मिलती। नाईट लेम्प की रोशनी
में ही मजे लेने पड़ते थे। कई बार सोचा कि उनके स्तन दबाऊँ, गोरी जांघ पर हाथ
फेरूँ, पर डर लगता था कि कही चाची ने शोर मचाया और दादा दादी को बता दिया तो
अंजाम बहुत बुरा होगा।
समय बीतता गया और धीरे-धीरे अब मैं सेक्सी किताबें और ब्ल्यू फिल्म की केसेट
घर पर ही लाने लगा और जब भी मौका मिलता, छुप-छुप कर पढ़ता और फिल्म देखता था।
जब भी मौका मिलता, मैं उनके गुप्त अंगों को देखने की कोशिश करता और
मस्ती-मस्ती में उन्हें छू भी लेता था। चाची भी इसका कोइ विरोध नहीं करती थी,
शायद उन्हें भी आनन्द आता था। लेकिन यह सब तभी होता था जब दादा-दादी कहीं
बाहर गये हों।
तभी हमारे एक रिशतेदार की मृत्यु हो गई और दादा-दादी को 15 दिनों के लिये
सूरत जाना पड़ा। अब घर पर मैं, चाची और उनकी 2 बेटियाँ रह गये। दोनों बेटियों
दे स्कूल दोपहर के थे और मेरी सुबह में ! यानि मैं घर आता तो वो दोनों स्कूल
गये होते थे और शाम को 5.30-6.00 बजे आते थे।
दादा-दादी को गए दो दिन हो गये थे और इन दो दिनों में मैंने देखा कि चाची कुछ
बदली-बदली सी लग रही थी। मतलब एक दम बिंदास, मस्ती ज़्यादा और काम कम !
और घर पर कोई बुजुर्ग नहीं होने की वजह से उनके कपड़े भी अस्त-व्यस्त रहने
लगे थे, लेकिन इससे मुझे भी आनन्द मिलने लगा और मैं उनके गोरे सेक्सी बदन को
देखने और छूने का कोई मौका नहीं छोड़ता।
मैं अपने दोस्त से ब्ल्यू फिल्म की एक केसट ले आया और कमरे में ही छुपा दी,
जो मुझे देख कर लौटानी थी। सोचा घर पर कोई नहीं हो और मौका मिले तो देख लूंगा।
अगले दिन मैं कॉलेज़ से लौटा, चाची ने कहा- चलो जल्दी से कपड़े बदल ले, मैं
खाना लगाती हूँ और वो रसोई में चली गई। मैंने कपड़े बदले और खाना खाना खाने
बैठ गया। खाना खाकर चाची पास ही कुछ सब्जी लेने चली गई और मैं घर पर अकेला !
मैंने सोचा कि मौका अच्छा है फिल्म देखने का, और मैं वो केसेट लेने कमरे में
गया। वहाँ जाकर देखा तो केसेट वहाँ से गायब था। मैं एकदम चिन्ता में पड़ गया।
एक तो केसेट दूसरे का और कहीं चाची के हाथ में आ गया तो दादा-दादी को बताने
का डर !
मैंने सब सामान इधर उधर कर दिया पर वो केसेट नहीं मिला। थोड़ी देर में चाची
वापस आ गई तो मैंने जल्दी-जल्दी सब सामान वापस रख दिया और कुछ बाहर ही रह गया।
चाची आई तो पूछने लगी- यह सब क्या कर रहे हो? और सामान क्यों निकाला?
मैंने कहा- कुछ नहीं ! एक किताब रखी थी मैंने अंदर ! वही ढूंढ रहा हूँ, मिल
नहीं रही है।
मेरी चिन्ता मेरे चेहरे पर साफ नज़र आ रही थी और चाची जिस तरह मुझे घूर रही
थी वो देख कर मुझे लग रहा था कि वो केसेट उनके हाथ लग गई है। वो वही बैठ गई
और थोड़ी देर मेरी हरकतों को देखती रही, मेरी चिन्ता देख वो बोली- चिन्ता मत
कर, तूने और कहीं रख दी होगी, बाद में आराम से ढूंढना, मिल जायेगी। अपने घर
में से कहाँ जायेगी।
उस रात मुझे नींद नहीं आई, पूरी रात सोच में ही निकल गई कि अब क्या होगा?
खैर रात बीत गई और सुबह हुई। सुबह से ही मैंने चाची में कुछ बदलाव देखे !
चाची बहुत खुश नजर आ रही थी और वो मुझमें भी बहुत दिलचस्पी दिखा रही थी। किसी
न किसी बहाने से मेरे गाल पकड़ती तो कभी प्यार से बालों में हाथ फेरती। खैर
मैं कॉलेज़ चला गया पर वहाँ भी मन नहीं लगा। दोपहर 12.15 बजे घर वापस आया,
चाची अपने काम में व्यस्त थी तो मैं फिर से विडियो केसेट ढूंढने मे लग गया
क्यूंकि घर पर मेरे और चाची के अलावा और कोई नहीं था।
"तुम क्या ढूंढ रहे हो? मैं कुछ मदद करूँ तुम्हारी?"
यह सुनकर मुझे थोड़ा और यकीन हो गया कि वो केसेट चाची के ही पास है, लेकिन डर
के मारे कुछ बोल नहीं पाया। फिर चाची वहीं बैठ गई और मेरी हरकतों को देखती
रही। थोड़ी देर बाद चाची ने फिर से पूछा- सच बताओ कि क्या ढूंढ रहे हो? जो है
सच बताओ मैं कुछ नहीं कहूंगी। हो सकता है कि मैं तुम्हारी कुछ मदद कर सकू !
यह सुनकर मुझ में थोड़ी हिम्मत आई और मैंने कहा- मैंने यहाँ एक वीडियो केसेट
रखा था, मिल नहीं रहा ! वही ढूँढ रहा हूँ !
तो चाची ने पूछा- कौन सा केसेट? किस फिल्म का था?
मैंने डर के मारे कहा- मेरे दोस्त के भाई के शादी का था !
चाची ने तुरंत पूछा- कल से तू वही ढूंढ रहा है?
मैंने कहा- हाँ चाची !
"तो कल क्यों झूठ बोला था तूने ?
मैं कुछ नहीं बोल सका। फिर चाची मेरे पास आई और मुस्कुराते हुये मेरे गाल
पकड़ कर कहा- इतना परेशान मत हो, मिल जायेगी ! चल सब सामान वापस रख दे अभी !
इतना बोल वो वहाँ से चली गई और अपने काम में लग गई। चाची की बातें सुनकर मुझे
थोड़ा डर भी लगा और कहीं थोड़ी खुशी भी हो रही थी, खुशी इस बात की कि अगर
चाची ने वो वीडियो देख ली है और मुझसे नाराज़ नहीं हैं तो मेरा उन्हें चोदने
का सपना सच हो सकता है। लेकिन मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी चाची से कुछ भी
कहने की। मैं हाल में सोफे पर बैठा था, मन में कई प्रकार के सवाल जवाब चल रहे
थे।
तभी चाची आई और मेरे बाजू में बैठ गई। तभी मैंने हिम्मत कर के कहा- चाची, अगर
वो केसेट आप के पास है तो प्लीज मुझे दे दीजिये, वो वापस लौटानी है मुझे !
चाची- अरे तुझे कहा ना, टेन्शन मत ले, पहले जा और अपने कपड़े बदल ले !
मैं तुरंत उठा और दूसरे कमरे में कपड़े बदलने लगा। तभी मैंने अलमारी के शीशे
में देखा तो मेरे पीछे चाची दरवाजे के पास खड़ी मुझे देख रही हैं। मैंने
उन्हें लगने ही नहीं दिया कि मैंने उन्हें देख लिया है, और जैसे ही मैं कपड़े
बदल कर मुड़ा, चाची वहाँ से जा चुकी थी। वहाँ से मैं रसोई में गया, चाची खाना
परोस रही थी, मैं खाना खाना खाने बैठ गया। हम दोनों आमने-सामने बैठे थे,
मैंने चुपचाप सर झुकाये खाना खाया और बेडरूम में आकर अपनी किताब ले कर बैठ
गया। थोड़ी देर बाद चाची भी आ गई और एक मैगज़ीन लेकर मेरे पास बैठ गई।थोड़ी
देर बाद चाची ने मस्ती शुरू कर दी, वैसे तो हम अकसर करते थे, पर जैसा मैंने
कहा, उस दिन उनका मूड कुछ अलग ही था। वो मुझे गुदगुदी करने लगी।
मैंने कहा- प्लीज़ चाची, मत करो ऐसा, मैं करुंगा तो आप को पता चलेगा, फिर मत
बोलना !
 
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